scripteclipses: एक पखवाड़े में दो ग्रहण | Two eclipses in a fortnight | Patrika News
बैंगलोर

eclipses: एक पखवाड़े में दो ग्रहण

2 July को सूर्यग्रहण, 16 की रात चंद्रग्रहण
भारत से भी देखा जाएगा Lunar eclipse
2 जुलाई को पूर्ण सूर्यग्रहण के समय भारत में मध्य रात्रि रहेगी

बैंगलोरJun 26, 2019 / 07:57 pm

Rajendra Vyas

eclipses:

eclipses: एक पखवाड़े में दो ग्रहण

बेंगलूरु. july में एक पखवाड़े के दौरान दो ग्रहण लगने जा रहे हैं। इसमें एक पूर्ण Solar eclipse और दूसरा आंशिक lunar eclipse होगा। पूर्ण सूर्यग्रहण आगामी 2 जुलाई को होगा लेकिन यह India से नजर नहीं आएगा वहीं, आंशिक चंद्रग्रहण 16 जुलाई की रात होगा जो भारत से देखा जाएगा।
भारतीय ताराभौतिकी संस्थान के प्रोफेसर (सेनि) रमेश कपूर ने बताया कि वर्ष 2019 के चार ग्रहणों में से 2 जुलाई का सूर्यग्रहण दूसरा ग्रहण है। यह पूर्ण ग्रहण होगा किंतु उस समय भारत में मध्य रात्रि रहेगी। इस ग्रहण का पूर्णता का पथ अधिकांशत: Pacific Ocean के ऊपर पड़ेगा। किसी स्थान से देखे जाने के लिए पूर्ण ग्रहण की छाया पहले ब्रिटेन के उनो island पर पड़ेगी।
इस ग्रहण की छाया वास्तव में न्यूजीलैंड के पूर्व से शुरू होकर प्रशांत महासागर के ऊपर से होती हुई दक्षिणी अमरीका के चिली और अर्जेंटीना के ऊपर से होकर गुजरेगी। अधिकतम अवधि का पूर्ण ग्रहण दक्षिणी प्रशांत महासागर के मध्य में पड़ेगा जहां पूर्णता की अधिकतम अवधि 4 मिनट 33 सेकंड होगी। पूर्णता का पथ लगभग 200 किमी चौड़ा है और South america में यह Chile के La Serena नामक स्थान से शुरू होगा और Argentina में Buenos Aires के थोड़ा South में समाप्त होगा।
प्रोफेसर कपूर ने बताया कि, पूर्ण सूर्यग्रहण का विशेष वैज्ञानिक महत्व है। पूर्ण ग्रहण के समय चंद्रमा द्वारा पूरी तरह ढक जाने के बाद सूर्य का बाहरी तप्त वातावरण जिसे Carona कहते हैं नजर आता है। जहां सूर्य की सतह का तापमान 5700 डिग्री सेंटीग्रेट है वहीं कॅरोना का तापमान 20 लाख डिग्री सेंटीग्रेट तक पहुंचता है। कॅरोना की छटा अनुपम है और nature के इस बेहद खूबसूरत नजारे के लिए शौकिया लोग और scientists हजारों किमी दूर की यात्रा करते हैं।
लाखों लोग पहुंच रहे हैं चिली और अर्जेंटीना

इस ग्रहण के लिए भी लाखों लोग चिली और अर्जेंटीना पहुंच रहे हैं। जहां चिली की राजधानी सेंटियागो में यह ग्रहण आंशिक होगा वहीं, ला-सेरेना में यह ग्रहण दोपहर बाद 3.23 बजे शुरू होगा और शाम 5 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगा। ग्रहण समाप्त होने तक सूर्य पश्चिमी क्षितिज तक जा पहुंचेगा। चिली की एल-पी घाटी में लगभग ढाई लाख लोगों के पहुंचने की संभावना बताई जा रही है। पूर्णता के पथ के बाहर इलाकों में यह ग्रहण उत्तरी और दक्षिणी अमरीका और प्रशांत के शेष क्षेत्रों पर आंशिक होगा। भारत से देखा गया अंतिम पूर्ण सूर्यग्रहण 22 जुलाई 2009 को हुआ था और अगला पूर्ण ग्रहण 20 मार्च 2034 में ही देख पाएंगे।
चंद्रग्रहण के साथ दिखेगा Saturn का नजारा

जुलाई माह में ही चंद्रग्रहण 16 -17 जुलाई की रात है। प्रोफेसर कपूर ने बताया कि यह ग्रहण आंशिक है लेकिन भारत से मध्यरात्रि के ठीक बाद में आरंभ होकर उषाकाल के थोड़ा पूर्व तक दिखाई देगा। ग्रहण का आरंभ और अंत उपछाया के ग्रहण से है। भारतीय समयानुसार 16 जुलाई की रात 12.14 बजे (17 जुलाई) उपछाया ग्रहण आरंभ होगा।
Europe के अधिकांश भाग में देखा जा सकेगा

आंशिक ग्रहण रात 1.32 बजे आरंभ होगा और आंशिक ग्रहण सुबह 04.32 बजे समाप्त होगा। उपछाया ग्रहण समाप्त सुबह 05.48 बजे खत्म होगा। आंशिक ग्रहण की अवधि लगभग 3 घंटे है। ग्रहण के समय शनि ग्रह को चंद्रमा के पश्चिम में लगभग 7 डिग्री दूर देखा जा सकेगा। यह ग्रहण यूरोप के अधिकांश भाग Africa, Australia, दक्षिण पूर्व उत्तरी अमरीका, प्रशांत हिंद महासागर में भी देखा जा सकेगा।
ग्रहण एक ज्ञान पर्व

उन्होंने कहा कि ग्रहण एक ज्ञान पर्व है और इसे देखने में कोई हानि नहीं होती। सूर्य या चंद्रमा के ग्रहण से गर्भस्थ शिशु को कोई हानि नहीं हो सकती और ना ही रखा हुआ भोजन खराब होता है।

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