एंबुलेंस को रास्ता दिखाने वाले वेंकटेश को वीरता पुरस्कार
बैंगलोरPublished: Jan 22, 2020 12:15:20 am
बहादुरी के लिए राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से नवाजे जाएंगे राज्य के दो बच्चे
एंबुलेंस को रास्ता दिखाने वाले वेंकटेश को वीरता पुरस्कार
बेंगलूरु.
राज्य के दो बहादुर बच्चों को इस साल राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से नवाजा जाएगा। भारतीय बाल कल्याण परिषद (आईसीसीडब्ल्यू) ने मंगलवार को वीरता पुरस्कार के लिए 10 लड़कियों और 12 लड़कों (कुल 22 बच्चों) के नामों की घोषणा की।
इनमें 11 साल का वेंकटेश भी शामिल है जिसने राज्य में बाढ़ के दौरान एक एंबुलेंस को रास्ता दिखाया था। वेंकटेश का गांव कृष्णा नदी के किनारे है। पिछले साल जब अगस्त में बाढ़ ने कहर बरपाया तब सड़कें पूरी तरह जलमग्न हो गईं। वेंकटेश ने देखा कि जगतकाल से यादगीर जा रही एक एंबुलेंस का चालक बाढ़ के पानी के कारण सड़क ढूंढ नहीं पा रहा है। एंबुलेंस पुल पर खड़ी थी जिसमें एक व्यक्ति का शव और चार रिश्तेदार थे। एंबुलेंस चालक की लाचारी को देखते हुए वेंकटेश बाढ़ में बह जाने की चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए पानी में कूद पड़ा। उसने चालक से कहा कि वह उसका पीछा करे क्योंकि उसे पता है कि सड़क कहां है। उसने एंबुलेंस को निर्देशित कर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया।
वेंकटेश के अलावा उत्तर कन्नड़ की नौ वर्षीय आरती शेत को भी इस साल के वीरता पुरस्कार से नवाजा जाएगा जिसने अत्यंत साहस का परिचय देते हुए अपने दो साल के भाई को उग्र गाय के हमले से बचाया था। यह घटना तब घटी जब उसका भाई एक तिपहिया वाहन पर घर के बाहर खेल रहा था। इस दौरान गाय ने अपने नुकीले सिंग से उसपर हमला कर दिया। आरती ने तत्काल बुद्धिमता का परिचय देते हुए साहसपूर्वक अपने भाई को सुरक्षित बचा लिया। इस दौरान गाय ने उसपर भी हमला किया और उसे चोट पहुंचाई। भाई को बचाकर वह घर के कोने में भागी और इस दौरान शोर भी मचाया जिसे सुनकर अभिभावक घर से बाहर आ गए और गाय को वहां से भगा दिया।
राज्य के इन दो बहादुर बच्चों के अलावा केरल, उत्तराखंड, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, असम, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय और मिजोरम के 19 बच्चों को भी इस पुरस्कार से नवाजा जाएगा।