केएएचएस के प्रतिनिधि डॉ. सूर्या बी. एन. ने रविवार को कहा कि इंटर्नशिप के पांच माह बाद सरकार ने चिकित्सकों को अनिवार्य ग्रामीण सेवा के लिए बुलाया है। करीब 3000 चिकित्सकों ने इस वर्ष जनवरी में इंटर्नशिप पूरी की। ग्रामीण सेवा के नाम पर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने पंजीकरण से वंचित रखा। इंटर्नशिप के बाद करीब तीन माह इंतजार के बावजूद सरकार की तंद्रा नहीं टूटी। विरोध के बाद सरकार ने पंजीकरण की अनुमति दी। अब पांच माह बर्बाद करने के बाद सरकार चाहती है कि चिकित्सक ग्रामीण सेवा की अनिवार्यता पूरी करें।
डॉ. सूर्या ने बताया कि सरकार ने केवल 1700 पदों के लिए अधिसूचना जारी की है जबकि चिकित्सकों की संख्या करीब 3000 है। ऐसे में शेष चिकित्सकों का क्या होगा?
केएएचएस के अन्य सदस्यों ने सरकार से पांच माह के विलंब का कारण पूछा है। अगर इसका कारण कोविड था, तो सरकार ने 3,000 हजार चिकित्सकों को बेकार बैठने पर मजबूर क्यों किया? सरकार चाहती तो उनकी सेवाएं ले सकती थी।
सदस्यों का कहना है कि वे ग्रामीण सेवा का बहिष्कार नहीं कर रहे हैं बल्कि सरकारी तंत्र से असंतुष्ट हैं। ग्रामीण सेवा के दौरान सरकार आवास भी प्रदान नहीं कर रही है। ग्रामीण सेवा अवधि एक वर्ष की है। सरकार को चाहिए कि इसे पांच माह कम करे क्योंकि पांच माह पहले ही बर्बाद कर चुकी है।
सरकार के अनुसार मेरिट के विद्यार्थियों को ग्रामीण सेवा में प्राथमिकता मिलेगी। इसका मतलब यह हुआ कि गैर मेरिट के विद्यार्थियों को ग्रामीण सेवा से छूट है।