कुमारस्वामी ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि सांसदों को राज्य के हितों की रक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए। कुमारस्वामी ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य को विश्वास में लिए बिना ही कावेरी बोर्ड का गठन कर दिया। नियमों के मुताबिक बोर्ड के गठन से पहले संसद में चर्चा भी नहीं कराया गया।
उन्होंने सांसदों से संसद के मानसून सत्र में इस मसले को उठाने की अपील की। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें मिलकर अपने हक को हासिल करने के लिए आवाज उठानी होगी। साथ ही मुख्यमंत्री ने सांसदों से अपील की कि वे केंद्र के पास लंबित राज्य की योजना का मसला भी उठाएं। बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा, लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, भाजपा के राज्यसभा सदस्य राजीव चंद्रशेखर, केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार, डी वी सदानंद गौड़ा, रमेश जिनजिगणी और अनंत कुमार हेगड़े ने भी भाग लिया। इससे पहले कुमारस्वामी ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, केेंद्रीय वित्त व रेल मंत्री पीयूष गोयल से भी मुलाकात की।
नहीं बनी सहमति
हालांकि, करीब 90 मिनट तक चली बैठक बेनतीजा रही। राज्य की ओर से कावेरी मसले पर उठाए जाने वाले कदम को लेकर सांसदों के बीच सहमति नहीं बन सकी। बैठक में आगे की रणनीति पर चर्चा के लिए फिर से बैठक करने का निर्णय लिया गया। पिछले पखवाड़े बेंगलूरु में हुई सर्वदलीय बैठक में शीर्ष अदालत में अपील पर सहूमति बनी थी।