उच्च शिक्षा मंत्री जी.टी. देवेगौड़ा के अनुसार बजट में वीटीयू विभाजन प्रस्ताव शामिल होने से पहले या इसके बाद शिक्षा विभाग ने मुख्यमंत्री कार्यालय को इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं भेजा था। ना ही हासन में नई तकनीकी विवि बनाने जैसी कोई सिफारिश की थी।
हालांकि बजट पेश करते समय मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने केवल विभाजन प्रस्ताव रखा है। सरकार ने अब तक इसे स्वीकृति नहीं दी है। अब सब कुछ मुख्यमंत्री पर निर्भर है। विशेषकर उत्तर कर्नाटक के विधान परिषद सदस्यों और विद्यायकों ने मुख्यमंत्री से इस प्रस्ताव को वापस लेने की मांग की है। इनके अनुसार वीटीयू प्रदेश का सबसे बड़ा तकनीकी विवि है। इसके विभाजन की जरूरत नहीं है।
मंत्री सतीश जारकीहोली का कहना है कि राजनीतिक दबाव में यह प्रस्ताव लाया गया है। जरूरी नहीं है कि हर बजटीय प्रावधान को लागू किया जाए। कई प्रस्ताव रद्द भी करने पड़ते हैं। इसमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।
यूनिवर्सिटी विश्ववेश्वरैय्या कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के पूर्व प्रचार्य प्रो. के. आर. वेणुगोपाल का कहना है सरकार के पास अलग से नई तकनीकी विवि स्थापित करने का विकल्प है। ऐसे में वीटीयू को विभाजित करने की आवश्यकता नहीं है।
हाल ही में केंद्र सरकार ने वीटीयू के लिए फंड भी जारी किया था। वहीं विधान परिषद में विपक्ष के नेता कोटा श्रीनिवास पुजारी का कहना है कि मुख्यमंत्री ने विभाजन की आधिकारिक घोषणा नहीं की है। हम इस तरह के किसी भी कदम का विरोध करते हैं।