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विवि ने गैर कन्नड़भाषी विद्यार्थियों के लिए जारी की पुस्तक

locationबैंगलोरPublished: Nov 11, 2019 07:33:02 pm

Submitted by:

Nikhil Kumar

18 हजार विद्यार्थी एमबीबीएस, नर्सिंग, आयुर्वेद, फिजियोथैरेपी, योग, होम्योपैथी और बीडीएस आदि पाठ्यक्रमों में दाखिला लेते हैं। एमबीबीएस और बीडीएस करने वाले 30-35 फीसदी विद्यार्थी अन्य राज्यों से होते हैं, जबकि अन्य कोर्सों के 45-50 फीसदी विद्यार्थी गैर कन्नड़भाषी होते हैं। ऐसे विद्यार्थी आसानी से कन्नड़ सीख सकें इसके लिए आरजीयूएचएस ने प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए एक कन्नड़ अभ्यास पुस्तक जारी की है।

— आरजीयूएचएस से संबद्ध सभी कॉलेजों को कन्नड़ शिक्षक नियुक्त करने के निर्देश
— कन्नड़ सीखने में मिलेगी मदद

बेंगलूरु.

राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेस (RGUHS) और इस से संबद्ध कॉलेजों में हर वर्ष करीब 18 हजार विद्यार्थी एमबीबीएस, नर्सिंग, आयुर्वेद, फिजियोथैरेपी, योग, होम्योपैथी और बीडीएस आदि पाठ्यक्रमों में दाखिला लेते हैं। एमबीबीएस और बीडीएस करने वाले 30-35 फीसदी विद्यार्थी अन्य राज्यों से होते हैं, जबकि अन्य कोर्सों के 45-50 फीसदी विद्यार्थी गैर कन्नड़भाषी होते हैं।

कन्नड़ सीखने में आसानी हो इसके लिए आरजीयूएचएस ने प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए एक कन्नड़ (Kannada) अभ्यास पुस्तक जारी की है। इसी शैक्षणिक सत्र से पुस्तक को लागू करने की योजना है। पुस्तक में बुनियादी और बोलचाल की भाषा पर जोर दिया गया है। शरीर के अंग, बीमारी, आम बीमारियों के लक्षण आदि संबंधित चिकित्सा शब्दावली शामिल हैं। पुस्तक में शब्द और छोटे वाक्य हैं। जिसका अनुवाद अंग्रेजी में भी है। अंत के अनुलग्नक में कन्नड़ में चिकित्सा शब्दावली है।

रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने इस पहल का स्वागत किया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. एनएन रेड्डी ने कहा कि विद्यार्थी कन्नड़ सीखेंगे तो उन्हें मरीजों को समझने और अपनी बात उन्हें समझाने में आसानी होगी। इंटर्नशिप के दौरान मदद मिलेगी।

आरजीयूएचएस के कुलपति डॉ. सचिदानंद एस. ने बताया कि कन्नड़ पुस्तक प्रथम वर्ष पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। उद्ेदश्य है विद्यार्थियों को क्षेत्रीय भाषा सीखने के लिए प्रोत्साहित करना। उन्होंने कहा कि आरजीयूएचएस ने इससे संबद्ध सभी कॉलेजों को एक कन्नड़ शिक्षक नियुक्त करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि कन्नड़ सीखने के लिए विद्यार्थियों को पहले से ही प्रोत्साहित किया जाता आ रहा है, लेकिन कोई पुस्तक उपलब्ध नहीं थी।

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