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मंथर गति से चल रहा झील से लाखों घनमीटर सिल्ट हटाने का कार्य

locationबैंगलोरPublished: Apr 22, 2021 08:51:06 am

Submitted by:

Sanjay Kulkarni

3.50 लाख घन मीटर सिल्ट संग्रहण का अनुमान

मंथर गति से चल रहा झील से लाखों घनमीटर सिल्ट हटाने का कार्य

मंथर गति से चल रहा झील से लाखों घनमीटर सिल्ट हटाने का कार्य

बेंगलूरु. राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के निर्देशों के तहत बेंगलूरु विकास प्राधिकरण (बीडीए) गत 10 माह से शहर के वर्तूर झील में संग्रहित सिल्ट हटा रहा है। प्राधिकरण के निर्देशों के तहत यह कार्य अगले वर्ष जून माह के अंत तक पूरा करना है लेकिन सिल्ट हटाने की वर्तमान गति को देखते हुए यह कार्य जून माह तक पूरा होना संभव नहीं है।
झील में 3.50 लाख घनमीटर सिल्ट
एक अनुमान के तहत इस झील में 3 लाख 50 हजार घन मीटर सिल्ट संग्रहित है। अभी 35 लॉरियों के माध्यम से यह सिल्ट खाद के रूप में झील के आस-पास के गांवों के खेतों तक पहुंचाई जा रही है। एक लॉरी में 15 वर्गमीटर सिल्ट भरी जा रही है। ऐसे में झील में संग्रहित 3 लाख 50 हजार घनमीटर सिल्ट को आनेवाले दो तीन माह में हटाना संभव नहीं है। बताया जा रहा है कि इस झील में लगभग 24 हजार लॉरी लोड सिल्ट संग्रहित है।
सिल्ट को डंप करने की समस्या
साथ में कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (केएसपीसीबी) ने इस सिल्ट का परीक्षण कर यह खाद जहरीले पदार्थों से मुक्त होने की रिपोर्ट देने के बाद इस सिल्ट को नि:शुल्क खेतों तक पहुंचाने के बावजूद किसान अपेक्षित स्तर पर इस सिल्ट की मांग नहीं कर रहे हैं। ऐसे में लाखों घनमीटर सिल्ट को कहां पर डंप किया जाए, इस का समाधान खोजा जा रहा है।
किसानों में रुचि नहीं
अभी तक महज 1500 किसानों ने इस सिल्ट की मांग की है। सिल्ट को ढो रही लॉरियों में भरे जा रहे सिल्ट का वजन किया जा रहा है। लॉरियों में जीपीएस भी स्थापित किया गया है जिसके कारण प्रतिदिन झील से निकाली जा रही सिल्ट का पुख्ता लेखा-जोखा मिल रहा है। झील में अभी 5 एक्सकैवेटर से झील की सिल्ट निकाली जा रही है।
120 करोड़ खर्च का अनुमान
बीडीए के सूत्रों के मुताबिक इस कार्य में अभी 18 माह और लगेंगे। ठेकेदार ने गत वर्ष दिसम्बर माह से यह कार्य शुरू किया है। इस झील में संग्रहित सिल्ट को हटाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए आनेवाले दिनों में इस कार्य में और तेजी लाई जाएगी। इस झील से सिल्ट हटाने के लिए बीडीए 51 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। मौजूदा गति को देखते हुए यह खर्च 120 करोड़ रुपए तक पहुंचने की संभावना है।

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