कोरोना के खिलाफ उतरी एयरोनॉटिक कंपनी
कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी उदयंत मल्होत्रा का कहना है कि इस तरह के वेंटिलेटर कर उत्पादन काफी मात्रा में कम लगात से किया जा सकता है। एयरोनॉटिक कल-पुर्जे बनाने वाली कंपनी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में वेंटिलेटर की कमी को पूरा करने के लिए अभी ऐसे वेेटिलेटर के उत्पादन को प्राथमिकता दे रही है। मल्होत्रा के मुताबिक कंपनी के फ्लूइड पावर इंजीनियर अप्रेल महीने के अंत तक ऐसे 40-50 हजार वेंटिलेटर उत्पादित करने के लक्ष्य के साथ काम कर रहे हैं। मल्होत्रा के मुताबिक डिस्पोजेबल वेंटिलेटर को वायु का स्थिर प्रवाह बनाए रखने के लिए बिजली की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसे वेंटिलेटर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अधिक उपयोग होते हैं। अमरीका में भी कई कंपनियां कोरोना के खिलाफ जंग में वेंटिलेटर की कमी को पूरा करने के लिए ऐसे किफायती उपकरण बना रहे हैै।
भारत की बड़ी खोज
नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने भी इस वेंटिलेटर की सराहना की है। कांत ने ट्वीट में इसे भारतीय खोज बताते हुए कहा कि ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और स्थानीय अस्पतालों के लिए यह महत्वपूर्ण है। कम लागत और आसान उत्पादन के कारण यह सुदूरवर्ती देहाती इलाकों के लिए उपयोगी है। इसे कहीं भी आसानी ले जाया और उपयोग किया जा सकता है। भारत को जीवन बचाने के लिए ऐसे नवोन्मेष की जरुरत है। कांत ने एक अन्य ट्वीट में इसे दुनिया का सबसे सस्ता वेंटिलेटर बताते हुए कहा कि इसकी कीमत सिर्फ 33 डॉलर यानी 2500 रुपए है।