एच5 एन1 से मानव के संक्रमित होने की संभावना बहुत कम : निम्हांस
- डॉ. रवि ने बताया कि बर्ड फ्लू बीमारी इन्फ्लूएंजा नामक वायरस से फैलती है। इसमें 16 स्ट्रेन होते हैं। इसमें एच5 एन1 स्ट्रेन है और केवल यही स्ट्रेन मुनष्य को प्रभावित कर सकता है।

बेंगलूरु. बर्ड फ्लू (एच5 एन1) से घबराने नहीं सावधान रहने की जरूरत है। चिकित्सकों के अनुसार एच5 एन1 से मानव के संक्रमित होने की संभावना बहुत कम है। ऐसा इसलिए है क्योंकि स्वाइन फ्लू (एच1 एन1) की तरह एच5 एन1 वायरस के रिसेप्टर्स ऊपरी श्वसन पथ में स्थित नहीं होते हैं।
राष्ट्रीय मानसिक आरोग्य व स्नायु विज्ञान संस्थान (Nimhans - निम्हांस) में न्यूरो वायरोलॉजी विभाग के डॉ. वी. रवि ने बताया कि भारत में एक भी व्यक्ति के बर्ड फ्लू से संक्रमित होने का मामला सामने नहीं आया है।
उन्होंने कहा कि संक्रमित पक्षियों के संपर्क में रहने वाले लोगों को एच5 एन1 से खतरा जरूरत है। ऐसे लोगों के स्वास्थ्य जांच या उपचार के दौरान चिकित्सकों व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को भी सावधानी बरतने की जरूरत है। बर्ड फ्लू (Bird Flu) हर दो वर्ष पर सिर उठाता है। लेकिन समय रहते पक्षियों को मार और वैज्ञानिक तरीके से शवों को दफना इससे निपटा गया है।
डॉ. रवि ने बताया कि बर्ड फ्लू बीमारी इन्फ्लूएंजा नामक वायरस से फैलती है। इसमें 16 स्ट्रेन होते हैं। इसमें एच5 एन1 स्ट्रेन है और केवल यही स्ट्रेन मुनष्य को प्रभावित कर सकता है। बाकी 15 केवल पक्षियों को ही प्रभावित करते हैं। लेकिन एच5 एन1 के रिसेप्टर्स फेफड़ों में सबसे नीचे होते हैं। ऊपरी श्वसन पथ से होते हुए रिसेप्टर्स तक एच5 एन1 का पहुंचना आसान नहीं है। इसके लिए ऊपरी श्वसन पथ और इसके मजबूत सुरक्षा तंत्र को भेदना होगा। जब तक वायरल लोड हद से ज्यादा न हो तबतक एच5 एन1 संक्रमण संभव नहीं है।
जब कोई पक्षी इस फ्लू से प्रभावित होता है और इंसान उसके यूरिन और स्टूल के संपर्क में जाता है तो उससे यह वायरस इंसान तक पहुंच जाता है, क्योंकि यह संक्रामक बीमारी है। इसलिए अगर इन दिनों कहीं पर अपने आप कोई पक्षी मरा हुआ दिखे तो उससे दूर रहें। सामाजिक दूरी, हैंड सैनिटाइजेशन और मास्क बर्ड फ्लू से भी बचाने में कारगर हैं।
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