हुणसूर सीट जनता दल-एस का गढ़ रही है लिहाजा पिछले विधानसभा चुनाव में देवेगौड़ा व कुमारस्वामी का समर्थन मिलने से विश्वनाथ जीत गए थे लेकिन अब उपचुनाव में वे मतदाताओं का सामना करने से कतरा रहे हैं।
बताया जाता है कि हुणसूर में भाजपा का कमजोर जनाधार रहा है और पिछले चुनाव में यहां से भाजपा के उम्मीदवार रहे जे.एस. रमेश को मात्र 6 ,406 मत ही मिलने की वजह से विश्वनाथ को इस सीट पर अपनी जीत संदिग्ध लग रही है।
विश्वनाथ को यह भी भय सता रहा है कि उनके उपचुनाव लडऩे पर पूर्व मंत्री सा.रा.महेश सहित उनके तमाम विरोधी एकजुट होकर उनकी चुनावी लुटिया डुबो देंगे। सूत्रों का कहना है कि विश्वनाथ ने मुख्यमंत्री येडियूरप्पा से कह दिया है कि हुणसूर से वे जिसे चाहें उसे टिकट दे सकते हैं और वादे के मुताबिक उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाकर मंत्री बना दें।
विश्वनाथ के चुनाव लडऩे से पीछे हटने के कारण भाजपा के नेता इस सीट से कांग्रेस से लौटे पूर्व सांसद विजयशंकर को टिकट देने की संभावनाओं पर विचार रहे हैं। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री येडियूरप्पा ने विश्वनाथ पर चुनाव मैदान में उतरने के लिए दबाव डाला है पर विश्वनाथ ने न केवल उपचुनाव लडऩे से साफ मना कर दिया है बल्कि अपने पुत्र को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारने के बारे में भी कोई रुचि नहीं दिखाई है।
हालांकि इस सीट से पहले पूर्व मंत्री सी.पी.योगेश्वर को मैदान उतराने पर विचार किया गया लेकिन चुनाव पूर्व सर्वे में उनके जीत के करीब नहीं पहुंच पाने की संभावना व्यक्त किए जाने के मद्देनजर उनको टिकट मिलना संदिग्ध है।
बताया जाता है कि योगेश्वर के बजाय इस सीट से जीटी. देवेगौड़ा के पुत्र को टिकट देने की पेशकश की गई लेकिन वे इस पर सहमत नहीं हैं। बहरहाल, हुणसूर में भाजपा को जीतने में सक्षम उम्मीदवार नहीं मिलने के कारण प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नलिन कुमार कटील हाल में भाजपा में लौटे सी.एच. विजयशंकर को टिकट देने का मानस बना रहे हैं क्योंकि विजयशंकर हुणसूर से एक बार भाजपा के विधायक रह चुके हैं।