विधान परिषद में संविधान पर चर्चा का पटाक्षेप
विधान परिषद में लगातार आठ दिनों से चल रही संविधान पर चर्चा का गुरुवार को पटाक्षेप हो गया।सभापति प्रतापचंद्र शेट्टी ने समापन करते हुए कहा कि चर्चा में 36 सदस्यों ने 25 घंटे 33 मिनट चिंतन किया। परिषद की कार्यवाही के इतिहास में पहली बार किसी विषय पर चली इतनी लंबी बहस संसदीय इतिहास के पृष्ठों में स्वर्णाक्षरों से अंकित होगी।

बेंगलूरु. उन्होंने कहा कि संविधान के महज महिमामंडन से कुछ हासिल नहीं होगा। हमने संविधान का गुणगान तो कर लिया लेकिन संविधान के सिद्धांतों को जीवन में उतारने का हमें ईमानदारी से प्रयास करना होगा। तभी संविधान निर्माताओं का सबके साथ न्याय का सपना साकार होगा। देश की जनता को संविधान के सिद्धांतों की जानकारी देने से पहले विधायिका न्यायपालिका तथा कार्यपालिका तीनों क्षेत्रों को संविधान को लेकर आत्मावलोकन करना होगा। सभापति ने कहा कि प्रति वर्ष सदन के पहले सत्र के दौरान न्यूनतम एक दिवस किसी विषय पर आधारित चर्चा होनी चाहिए। वे चाहते है कि अगले वर्ष सदन में महात्मा गांधी तथा क्रांतिकारी संत बसवेश्वर तथा अन्य महापुरुषों की विचारधारा पर चिंतन हो। प्राथमिक तथा माध्यमिक पाठ्यक्रमों में भी संविधान को शामिल करना चाहिए।उल्लेखनीय है कि विधान परिषद में संविधान पर चर्चा के दौरान अस्पृश्यता, सामाजिक न्याय, आरक्षण, चुनाव सुधार, विधायिका न्यायपालिका तथा कार्यपालिका के मौजूदा हालात समेत कई विषयों पर सदस्यों ने बेबाक विचार रखे इस दौरान सदन में कई बार विपक्ष तथा सत्तारूढ़ दलों के बीच नोकझोंक देखने को मिली।
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