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कर्नाटक सरकार का भविष्य तय करने वाला होगा विधानसभा उपचुनाव

locationबैंगलोरPublished: Dec 04, 2019 06:00:57 pm

Submitted by:

Priyadarshan Sharma

त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे भाजपा के सुधाकर

कर्नाटक सरकार का भविष्य तय करने वाला होगा विधानसभा उपचुनाव

chikkballapur

बेंगलूरु. चिकित्सा स्नातक 44 वर्षीय के. सुधाकर ने अपने एक दशक के राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। इस बार उन्हें अपनी राजनीतिक डॉक्टरी से चुनावी समर में फतह करने की चुनौती है जहां एक ओर विपक्षी की मजबूत घेराबंदी है तो दूसरी ओर भाजपा का आंतरिक कलह।
चिकबल्लापुर में त्रिकोणीय लड़ाई में एक ओर कांग्रेस एम. अंजीणप्पा हैं तो दूसरी ओर जद-एस राधाकृष्णा और दोनों के बीच पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव में उतरे सुधाकर तीसरी बार विधायक बनने की जोर आजमाइश में लगे हैं। अगर सुधाकर की जीत होती है तो यह पहला मौका होगा जब भाजपा यहां खाता खोलने में सफल होगी। हालंाकि यह इतना सरल नहीं है। चिकबल्लापुर से भाजपा सांसद बच्चेगौड़ा के बेटे शरत बी. को होसकोटे से भाजपा ने टिकट नहीं दिया था जिस कारण बच्चेगौड़ा ने सुधाकर के लिए कोई विशेष सक्रियता नहीं दिखाई है।
दूसरी तरफ भाजपा ने भले इस बार के लोकसभा चुनाव में चिकबल्लापुर में जीत हासिल की हो लेकिन पार्टी का अब तक कोई मजबूत जनाधार नहीं रहा है। और अब इन्हीं चुनौतियों से सुधाकर भी जूझ रहे हैं। इसके बाजवूद चुनावी समर को उन्होंने त्रिकोणीय बना रखा है। चिकबल्लापुर में अब तक कांग्रेस और जद-एस ही एक दूसरे के मुख्य प्रतिद्वंद्वी रहे हैं। इस बार भी दोनों दलों को उम्मीद है कि मुकाबला उन्हीं के बीच है।
सुधाकर ने यहां से दो बार कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की जिस कारण इस बार उन्हें भाजपा प्रत्याशी के तौर पर प्रचार करने में कई प्रकार परेशानियां आई हैं। हालांकि,सुधाकर का कहना है कि येडियूरप्पा सरकार बनने के बाद जिले के लिए मेडिकल कॉलेज, मंचनहल्ली को अलग तालुक बनाने सहित पेयजल समस्या दूर करने की योजनाओं को स्वीकृति मिली है। और अगर वे चुनाव जीतते हैं तो इसमें और तेजी आएगी।
अब तक के चुनावी इतिहास में जातीय मुकाबलों का साक्षी रहा चिकबल्लापुर में इस बार भी सिंचाई, पेयजल, पर्यटन और उद्योग विकास जैसे मुद्दे प्रचार में गौण हैं जबकि आम लोग चाहते हैं कि नेता इस पर गंभीरता दिखाएं।

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