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पाŸवनाथ की आराधना से मिलेगी सद्गति
मैसूरु. पाŸव वाटिका के आराधना भवन में धर्मसभा में जैनाचार्य विजय रत्नसेन सूरीश्वर ने कहा कि जिस जीवात्मा को जीवन में शांति, मरण में समाधि, परलोक में सद्गति और परंपरा से मुक्ति की अभिलाषा हो उसे शंखेश्वर पाŸवनाथ भगवान की आराधना करनी चाहिए।
पाŸवनाथ भगवान का मनन करते हुए आराधना करने से जीवन में आने वाले सभी विघ्नों का नाश होता है। बाबूलाल मुणोत ने बताया कि शनिवार को सुबह 8.30 बजे आचार्य आदिश्वर वाटिका के लिए प्रस्थान करेंगे।
पाŸवनाथ की आराधना से मिलेगी सद्गति
मैसूरु. पाŸव वाटिका के आराधना भवन में धर्मसभा में जैनाचार्य विजय रत्नसेन सूरीश्वर ने कहा कि जिस जीवात्मा को जीवन में शांति, मरण में समाधि, परलोक में सद्गति और परंपरा से मुक्ति की अभिलाषा हो उसे शंखेश्वर पाŸवनाथ भगवान की आराधना करनी चाहिए।
पाŸवनाथ भगवान का मनन करते हुए आराधना करने से जीवन में आने वाले सभी विघ्नों का नाश होता है। बाबूलाल मुणोत ने बताया कि शनिवार को सुबह 8.30 बजे आचार्य आदिश्वर वाटिका के लिए प्रस्थान करेंगे।
——- वाणी से होती है मनुष्य की पहचान
बेंगलूरु. अलसूर के महावीर भवन में जयधुरन्धर मुनि ने कहा कि व्यक्ति की पहचान उसकी वाणी से होती है। हित, मित, पथ्य, सत्य-युक्त वीतराग वाणी के श्रवण करने से साधक के बोलने का विवेक जागृत हो जाता है और जहां विवेक रूपी नेत्र खुल जाता है, वहां पाप कर्मों का बंध नहीं होता है। मुनि ने कहा कि बिना सोचे-विचारे बोले गए वचन सुनने वाले के हृदय पर घाव हो सकते हैं, जिसकी मरहम पट्टी नहीं की जा सकती। मुनिवृंद शनिवार को अलसूर से विहार कर येलगुंटपालयम जैन स्थानक पहुंचेंगे।
बेंगलूरु. अलसूर के महावीर भवन में जयधुरन्धर मुनि ने कहा कि व्यक्ति की पहचान उसकी वाणी से होती है। हित, मित, पथ्य, सत्य-युक्त वीतराग वाणी के श्रवण करने से साधक के बोलने का विवेक जागृत हो जाता है और जहां विवेक रूपी नेत्र खुल जाता है, वहां पाप कर्मों का बंध नहीं होता है। मुनि ने कहा कि बिना सोचे-विचारे बोले गए वचन सुनने वाले के हृदय पर घाव हो सकते हैं, जिसकी मरहम पट्टी नहीं की जा सकती। मुनिवृंद शनिवार को अलसूर से विहार कर येलगुंटपालयम जैन स्थानक पहुंचेंगे।