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आदिवासियों के विशेष केंद्र पर बड़ी तादाद में पहुंचे मतदाता

locationबैंगलोरPublished: Apr 19, 2019 01:42:39 am

मैसूरु-कोडुग़ू लोकसभा क्षेत्र में आने वाले नागरहोले राष्ट्रीय उद्यान के नागापुरा आदिवासी बेल्ट में मतदाताओं के लिए विशेष रूप से स्थापित एक मतदान केंद्र पर दोपहर 2 बजे तक 50 फीसदी वोट पड़े।

आदिवासियों के विशेष केंद्र पर बड़ी तादाद में पहुंचे मतदाता

आदिवासियों के विशेष केंद्र पर बड़ी तादाद में पहुंचे मतदाता

बेंगलूरु. मैसूरु-कोडुग़ू लोकसभा क्षेत्र में आने वाले नागरहोले राष्ट्रीय उद्यान के नागापुरा आदिवासी बेल्ट में मतदाताओं के लिए विशेष रूप से स्थापित एक मतदान केंद्र पर दोपहर 2 बजे तक 50 फीसदी वोट पड़े। पिछले विधानसभा चुनाव में विशेष मतदान केंद्रों को मिली सफलता के बाद चुनाव आयोग ने आदवासियों को आकर्षित करने के लिए केंद्रों को वन क्षेत्रों में बनने वाली झोंपड़ी का स्वरूप दिया। इस मतदान केंद्र में मतदाताओं का स्वागत पेय पिलाया गया और मैसूरु की पारंपरिक पगड़ी, धोती तथा सफेद शर्ट पहनाकर मतदान केंद्रों में प्रवेश कराया गया। जिन आदिवासियों ने मतदान किया उन्हें विभिन्न फलदार वृक्ष प्रजातियों के पौधेे भी वितरित किए गए।


इस व्यवहार पर आदिवासी मतदाताओं ने प्रसन्नता व्यक्त की। इस मतदान केंद्र के तहत कुल 960 मतदाता हैं, इनमें से दोपहर 2 बजे तक 50 फीसदी से अधिक मतदाताओं ने वोट डाले। 2018 के विधानसभा चुनाव में इस मतदान केंद्र्र पर 70 फीसदी मतदान हुआ था। इसी तरह के मतदान केंद की स्थापना मैसूरु-कोड़ुगू क्षेत्र के पेरियापटट्णा एवं चामराजनगर लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले हेग्गड़देवनकोटे विधानसभा क्षेत्र के आदिवासी बहुल इलाकों में भी की गई।

समझाने के बाद वापस लिया मतदान बहिष्कार का आह्वान
बादामी-हुब्बल्ली. बादामी तालुक के गिड्डनायकनाळ गांव को राजस्व ग्राम बनाने की मांग को लेकर पिछले 15 दिन से मतदान बहिष्कार की जिद पर अड़े ग्रामीणों को मनाने में जिलाधिकारी रामचंद्रन सफल रहे। जिलाधिकारी ने गुस्साए ग्रामीणों से चर्चा कर आगामी दो या तीन माह में सरकार के सचिव स्तर पर उनकी समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया, इसके पश्चात ग्रामीणों ने मतदान बहिष्कार का आह्वान वापस लिया।

राजस्व गांव बनाने के लिए सरकार के राजपत्र में प्रस्ताव पारित होने के बावजूद संबंधित विभाग की ओर से क्रियान्वयन नहीं किया गया था। इससे किसानों तथा ग्रामीणों का सिरदर्द बना हुआ था। इस बारे में वर्ष 2014 में राजपत्र में मंजूरी मिलने के बावजूद उसके क्रियान्वयन नहीं करने के कारण गुस्साए ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार कर सरकार का ध्यान आकर्षित किया। चुनाव में सब मतदान करें, यह संदेश लेकर जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित करती आई सरकार के लिए गिड्डनायकनाळ गांव की मतदान बहिष्कार की समस्या सिरदर्द बनी हुई थी।

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