मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग सहित अन्य संस्थाओं के निरंतर प्रयास के फलस्वरूप राज्य में पांच बरस में १.४२ प्रतिशत मतदान बढ़ा है, वर्ष २०१४ के दौरान ६७.२० फीसदी मतदान हुआ था। हालांकि विधानसभा चुनाव २०१८ की तुलना में लोकसभा चुनाव का मतदान प्रतिशत कम रहा। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में 72.57 फीसदी वोट पड़़े थे, यानी विधानसभा चुनाव की तुलना में लोकसभा चुनाव में मतदाताओं का उत्साह कम रहा। चुनाव आयोग ने बुधवार को कहा कि ताजा आंकड़ों के मुताबिक मंगलवार को लोकसभा की 14 सीटों के लिए हुए मतदान में कुल 68.43 प्रतिशत वोट पड़े हैं, जबकि 18 अप्रेल को हुए मतदान में 68.80 फीसदी मतदान दर्ज किया गया है। दूसरे चरण में मंड्या सीट पर सबसे अधिक 80 फीसदी मतदान हुआ, जबकि तीसरे चरण में शिवमोग्गा में सबसे अधिक 76.43 फीसदी वोट पड़े जबकि राचयूर में सबसे कम 57.91 प्रतिशत वोट पड़े।
कई गांवों में मतदान का बहिष्कार
एक ओर जहां कई बूथों पर मतदाताओं का उत्साह चरम पर रहा, वहीं कई गांव ऐसे भी रहे जहां मतदाताओं ने अपनी बहुप्रतीक्षित मांगों के पूरा नहीं होने के कारण वोट बहिष्कार किया।
उत्तर कन्नड़ संसदीय क्षेत्र के वन क्षेत्रों में आने वाले ११ गांवों के मतदाताओं ने मतदान का बहिष्कार किया। इन गांवों के मात्र दो लोगों ने मतदान किया। गवाली, चपोली, चिरेखानी, मुडुगई, कपोली, पसतोली, कोंगला और कृष्णपुरा गांवों के मतदाताओं ने वन विभाग द्वारा उनके गांवों में विकास कार्य नहीं होने देने के विरोध स्वरूप वोट बहिष्कार किया। ग्रामीणों ने खानपुर तहसीलदार को इस संबंध में ज्ञापन सौंपा और गांव में स्कूल एवं स्वास्थ्य जैसी बुनियादी ढांचागत सुविधाएं नहीं होने पर रोष प्रकट किया। इन गांवों के ५६४ परिवारों के १८५४ मतदाता हैं, लेकिन सिर्फ दो ने ही मतदान किया।
एक ओर जहां कई बूथों पर मतदाताओं का उत्साह चरम पर रहा, वहीं कई गांव ऐसे भी रहे जहां मतदाताओं ने अपनी बहुप्रतीक्षित मांगों के पूरा नहीं होने के कारण वोट बहिष्कार किया।
उत्तर कन्नड़ संसदीय क्षेत्र के वन क्षेत्रों में आने वाले ११ गांवों के मतदाताओं ने मतदान का बहिष्कार किया। इन गांवों के मात्र दो लोगों ने मतदान किया। गवाली, चपोली, चिरेखानी, मुडुगई, कपोली, पसतोली, कोंगला और कृष्णपुरा गांवों के मतदाताओं ने वन विभाग द्वारा उनके गांवों में विकास कार्य नहीं होने देने के विरोध स्वरूप वोट बहिष्कार किया। ग्रामीणों ने खानपुर तहसीलदार को इस संबंध में ज्ञापन सौंपा और गांव में स्कूल एवं स्वास्थ्य जैसी बुनियादी ढांचागत सुविधाएं नहीं होने पर रोष प्रकट किया। इन गांवों के ५६४ परिवारों के १८५४ मतदाता हैं, लेकिन सिर्फ दो ने ही मतदान किया।
आठ चुनावकर्मियों की हुई मौत
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी संजीव कुमार ने कहा कि चुनाव ड्यूटी पर तैनात एक महिला सहित 8 चुनाव कर्मियों की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि जहां एक व्यक्ति की सडक़ हादसे में मौत हो गई, वहीं अन्य सात का हृदयाघात के कारण निधन हो गया। चुनाव ड्यूटी के दौरान देवेन्द्रप्पा (बल्लारी), रविकांत रामा (उत्तर कन्नड़), शिवपुत्रप्पा (यादगीर), शांतमूर्ति (चामराजनगर), सुरेश भीमप्पा (चिक्कोड़ी), तिप्पेस्वामी (बल्लारी), एचए बेलीबंटा (बेलगावी) तथा वेंकटलक्ष्मी (बल्लारी) शामिल हैं। चुनाव आयोग के निर्देशानुसार प्रत्येक मृतक के आश्रितों को 15 लाख रुपए की अनुग्रह राशि का भुगतान किया जाएगा।
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी संजीव कुमार ने कहा कि चुनाव ड्यूटी पर तैनात एक महिला सहित 8 चुनाव कर्मियों की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि जहां एक व्यक्ति की सडक़ हादसे में मौत हो गई, वहीं अन्य सात का हृदयाघात के कारण निधन हो गया। चुनाव ड्यूटी के दौरान देवेन्द्रप्पा (बल्लारी), रविकांत रामा (उत्तर कन्नड़), शिवपुत्रप्पा (यादगीर), शांतमूर्ति (चामराजनगर), सुरेश भीमप्पा (चिक्कोड़ी), तिप्पेस्वामी (बल्लारी), एचए बेलीबंटा (बेलगावी) तथा वेंकटलक्ष्मी (बल्लारी) शामिल हैं। चुनाव आयोग के निर्देशानुसार प्रत्येक मृतक के आश्रितों को 15 लाख रुपए की अनुग्रह राशि का भुगतान किया जाएगा।