इस जाति प्रमाणपत्र को लेकर स्थानीय निवासी से जिलाधिकारी से शिकायत दर्ज की थी। शिकायत की सुनवाई के दौरान यह बात उजागर हो गई की बेंगलूरु दक्षिण के तहसीलदार ने जो जाति प्रमाणपत्र दिया है वह फर्जी है। जाति प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए गायत्री ने के.पी.अग्रहारा क्षेत्र में स्थित सिद्धलिंगेश्वरा स्कूल में पहली कक्षा से पांचवी कक्षा तक शिक्षा प्राप्त करने के जो दस्तावेज सौंपे थे।
लेकिन जांच में साबित हो गया कि गायत्री ने पांचवी कक्षा की पढ़ाई पूरी करने से पहले ही यह स्कूल छोड़ा था। लेकिन गायत्री की ओर से पेश किए गए दस्तावेजों में उनको 5 वी कक्षा में उत्तीर्ण बताया गया है। इस स्कूल के दस्तावेजों में गायत्री के पिता का नाम नागराज है लेकिन स्कूल की ओर से जारी टीसी (ट्रांसफर सर्टिफिकेट)में नागराज को पोषक बताया गया है। इन त्रृटियों के यह दस्तावेज भी फर्जी पाए गए।
अपराधिक मामला दर्ज होने की संभावना
जिलाधिकारी के निर्देशों के तहत गठित जांच समिति की रिपोर्ट में फर्जी दस्तावेजों की पुष्टि होने के कारण जिलाधिकारी ने एक आदेश के तहत गायत्री का जाति प्रमाणपत्र निरस्त किया है। अब चुनाव आयोग के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर गलत जानकारी देने के लिए गायत्री के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज किए जाने की संभावना है। इससे उनकी सदस्यता भी रद्द होने की संभावना है।
जिलाधिकारी के निर्देशों के तहत गठित जांच समिति की रिपोर्ट में फर्जी दस्तावेजों की पुष्टि होने के कारण जिलाधिकारी ने एक आदेश के तहत गायत्री का जाति प्रमाणपत्र निरस्त किया है। अब चुनाव आयोग के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर गलत जानकारी देने के लिए गायत्री के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज किए जाने की संभावना है। इससे उनकी सदस्यता भी रद्द होने की संभावना है।
पार्षद का दावा कोई गलती नहीं
इस मामले को लेकर पार्षद एम.गायत्री ने शुक्रवार को कहा कि वह जिलाधिकारी के इस फैसले को अदालत में याचिका दायर कर चुनौती देगी। जब वह दो वर्ष की थी तब उनके माता-पिता का निधन हो गया था। उनकी दादी ने स्कूल के दस्तावेजों में वह (गायत्री) नायक समुदाय होने की बात दर्ज की थी। इस दस्तावेज के आधार पर ही उन्होंने जाति का प्रमाणपत्र प्राप्त किया है। इसमे कोई गलती नहीं है। उन्होंने कहा कि एस साजिश के तहत स्थानीय कांग्रेस नेता ने उन्हें इस मामले में फंसाने का प्रयास किया है।
इस मामले को लेकर पार्षद एम.गायत्री ने शुक्रवार को कहा कि वह जिलाधिकारी के इस फैसले को अदालत में याचिका दायर कर चुनौती देगी। जब वह दो वर्ष की थी तब उनके माता-पिता का निधन हो गया था। उनकी दादी ने स्कूल के दस्तावेजों में वह (गायत्री) नायक समुदाय होने की बात दर्ज की थी। इस दस्तावेज के आधार पर ही उन्होंने जाति का प्रमाणपत्र प्राप्त किया है। इसमे कोई गलती नहीं है। उन्होंने कहा कि एस साजिश के तहत स्थानीय कांग्रेस नेता ने उन्हें इस मामले में फंसाने का प्रयास किया है।