बहरहाल, यादगीर के जिला उपायुक्त जे. मंजुनाथ ने कहा कि नदी का जल स्तर बढऩे के कारण नारायणपुर जलाशय लगभग पूरा भर चुका है। अलमत्ती जलाशय में भी पानी की भारी आवक हो रही है। लिहाजा लोगों से नदी के किनारे से दूर रहने को कहा गया है।
कृष्णा भाग्या जल निगम लिमिटेड के अधिकारियों ने जिले के हुणसगी तालुक स्थित इस जलाशय से शुक्रवार को और अधिक मात्रा में पानी छोड़ा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अलमत्ती जलाशय से इस बांध में 1.73 लाख क्यूसेक की गति से पानी आ रहा है और इसी मात्रा में इस जलाशय से पानी छोड़ा जा रहा है। नारायणपुर जलाशय की कुल भराव क्षमता 492.25 मीटर है और बांध का जलस्तर फिलहाल 491.30 मीटर तक पहुंच चुका है। इस जलाशय के 30 में से 16 गेट पानी छोडऩे के लिए खोल दिए गए हंै।
कृष्णा नदी में आई बाढ़ के कारण नीलकांतरायनगड्डी द्वीप पर रहने वाले लोग शुक्रवार को भी फंसे रहे और उनका बाहरी दुनिया से संपर्क कटा रहा। गुरुवार को इस द्वीप के 6 बाशिंदों के द्वीप पर लौटने के बाद कोई भी अन्य निवासी मुख्य भूमि पर जाने का जोखिम मोल नहीं ले रहा है। बहरहाल, जिलाधिकारी मंजुनाथ ने नारायणपुर में अधिकारियों के साथ बाढ़ की स्थिति पर समीक्षा बैठक में बाग लेने के बाद कहा कि हालात का जायजा लेने के बाद नावों की सेवाएं शुरू की जाएंगी और द्वीप के बाशिंदों को सभी प्रकार की मेडिकल सेवाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी।
रायचूर से मिली खबरों में कहा गया कि नारायणपुर के बसवसागर बांध ेसे छोड़े गए पानी के कारण जिले के लिंगसुगुर तालुक के कृष्णा नदी के छोटे द्वीप बाढ़ के खतरे का सामना कर रहे हैं। बसवसागर बांध में पानी की आवक बढऩे के कारण 15 फाटक पानी छोडऩे के लिए खोल दिए जाने के कारण कृष्णा नदी के द्वीपों के कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जलदुर्गा, यलगुंडी, यारागोड़ी तथा कडडऱगड्डी द्वीपों के गांवों को जोडऩे वाला शीलाहल्ली पुल आंशिक रूप से डूब गया है और लोग पुल को पार करने से डर रहे हैं।
ग्रामीण असहाय हैं और इन टापू वाले गांवों को न्यूनतम बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराने के लिए जिला प्रशासन को कोस रहे हैं। राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव में करकलागड्डी, एरालगड्डी तथा वेंकनगड्डी गांवों के 16 परिवारों के 60 सदस्यों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का कार्य नहीं हो पाया है।
बेलगावी से मिली जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र के बांधों से अधिक पानी छोड़े जाने के कारण चिक्कोड़ी डिवीजन के 9 से अधिक पुल व बैराज के ऊपर से पानी बह रहा है। गुरुवार की रात तक कृष्णा व वेदगंगा नदियों पर बने चार चार पुल तता दूधगंगा नदी पर बना एक पुल पानी में डूब चुका था और जिला प्रशासन का कहना है कि वाहनों के यातायात को सुगम बनाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार महाराष्ट्र के कोयना, वारणा, राधानगरी, खानेरी डोम,राजापुर बैराज तथा दूधगंगा बांधों से करीब 1.8 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इस बीच अलमत्ती तथा हिप्परगी बांधों का जल स्तर लगातार बढ़ रहा है। जलग्रहण क्षेेत्रों में अच्छी बारिश होने से हिड़कल, नेविलुतीर्था तथा मार्कंडेय बांधों का जलस्तर भी बढ़ रहा है। भारी बारिश के कारण मलप्रभा तथा घटप्रभा नदियां भी उफान पर हैं।
पानी में बहे बाप-बेटे!
बल्लारी से मिली खबर के मुताबिक बांध से छोड़े गए पानी के तेज बहाव में एक बाप-बेटे के तुंगभद्रा नदी में बह जाने की आशंका है। वे नदी से रेत निकाल रहे थे। उनकी पहचान रफीक (35) और बेटे इसाक (6) के रूप में हुई है। पुलिस के अनुसार सद्दाम (23) और मेहबूब (15) के साथ रफीक नदी से रेत निकालने गया था। साथ में बेटे को भी ले गया था।
बल्लारी से मिली खबर के मुताबिक बांध से छोड़े गए पानी के तेज बहाव में एक बाप-बेटे के तुंगभद्रा नदी में बह जाने की आशंका है। वे नदी से रेत निकाल रहे थे। उनकी पहचान रफीक (35) और बेटे इसाक (6) के रूप में हुई है। पुलिस के अनुसार सद्दाम (23) और मेहबूब (15) के साथ रफीक नदी से रेत निकालने गया था। साथ में बेटे को भी ले गया था।
सभी रेत निकाल कर बैलगाड़ी पर लाद रहे थे। तभी बांध से छोड़े गए पानी के तेज बहाव में दोनों बह गए। सद्दाम और महबूब तैर कर बच निकलने में कामयाब रहे। सूचना मिलने पर तहसीलदार सुनीता और पुलिस सहित आग एवं आपातकालीन सेवा कर्मी मौके पर पहुंचे। मछुआरों और गोताखोरों ने दोनों को नदी में काफी देर तक तलाशा पर कोई सुराग नहीं मिला।