आरोपी पी. मुरली मनोहर रेड्डी ने इतिहास का अध्ययन किया था जहां से उसने इस समाधि में हीरे, मोती, सोने के सिक्के आदि कीमती चीजें होने का अनुमान लगाया था। इस मामले में आंध्र प्रदेश के 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अन्य तीन की तलाश की जा रही है। लगभग 9 फीट ऊंचे इस समाधि स्थल की मरम्मत में शहर के निवासी फाइन आट्र्स में स्नातकोत्तर केएम शेषगिरी तथा अभियंता शिल्पी नागेंद्र राममूर्ति ने अहम भूमिका निभाई थी। आनेगुंदी व्यासराज मठ के प्रमुख से 17 जुलाई को समाधि क्षतिग्रस्त किए जाने की सूचना मिलते ही दोनों मौके पर पहुंचे। तथा वहां पर समाधि के पुननिर्माण का कार्य का नेतृत्व संभाला। शिल्पशास्त्र के अध्ययन के आधार पर इन दोनों ने इस समाधि का पुर्ननिर्माण संभव किया।
तंत्र सार संग्रह के आधार पर समाधि का निर्माण
शिल्पी नागेंद्र कुमार के मुताबिक संत मध्वाचार्य की ओर से शिल्प शास्त्र से संबधित ‘तंत्र सार संग्रह’ ग्रंथ के आधार पर ही इस समाधि का निर्माण किया गया है। समाधि के बिखरे हुए अंग्रेजी एल आकार के 22 पत्थरों को जोड़ कर 9 घंटों के अथक प्रयासों के बाद इस समाधि का पुर्ननिर्माण किया गया है। पत्थरों को जोडऩे के लिए सीमेंट के बजाय गुड़, गन्ने का रस तथा चूने का प्रयोग किया गया है। समाधि का न्यास बेलूर तथा हलेबीडू के मंदिरों के समान है। सबसे नीचे वाले स्तर के पत्थरों पर हाथी, दूसरे स्तर में वराह तीसरे में सिंह की प्रतिमाएं होने से ऐसे पत्थरों को उसी क्रम में जोडऩा आसान हुआ।
शिल्पी नागेंद्र कुमार के मुताबिक संत मध्वाचार्य की ओर से शिल्प शास्त्र से संबधित ‘तंत्र सार संग्रह’ ग्रंथ के आधार पर ही इस समाधि का निर्माण किया गया है। समाधि के बिखरे हुए अंग्रेजी एल आकार के 22 पत्थरों को जोड़ कर 9 घंटों के अथक प्रयासों के बाद इस समाधि का पुर्ननिर्माण किया गया है। पत्थरों को जोडऩे के लिए सीमेंट के बजाय गुड़, गन्ने का रस तथा चूने का प्रयोग किया गया है। समाधि का न्यास बेलूर तथा हलेबीडू के मंदिरों के समान है। सबसे नीचे वाले स्तर के पत्थरों पर हाथी, दूसरे स्तर में वराह तीसरे में सिंह की प्रतिमाएं होने से ऐसे पत्थरों को उसी क्रम में जोडऩा आसान हुआ।