झील लगभग 40 एकड़ के क्षेत्र में फैली हुई है और इसकी अधिकतम गहराई 3.5 मीटर है। झील प्रकृति प्रेमियों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। इसके अतिरिक्त यह कई प्रजाति के पक्षियों और जलीय जंतुओं को ठिकाना है। सुबह के समय झील क्षेत्र में सैंकड़ों की संख्या में कलरव करते पक्षी इसकी शोभा में चार चांद लगाते हैं जबकि हर वर्ष कई प्रकार प्रवासी पक्षी यहां कुछ समय तक अपना ठिकाना बनाए रखते हैं।
विभाग का कहना है कि झील में अब तक प्राकृतिक रूप से एकत्रित पानी ही जमा रहता था जिसमें मछलियां और कमल सहित कई प्रकार की जलीय वनस्पतियां मौजूद हैं। विभाग ने अब इसे नए सिरे से संवारने की योजना बनाई है जिसके तहत झील का पानी पहले की तुलना में ज्यादा साफ रहेगा और कमल के फूलों के बदले नम्फिया पौधों के फूल आकर्षित करेंगे।
नम्फिया भी कमल की भांति एक जलीय वनस्पति है जिसमें उसी तर्ज पर आकर्षक फूल खिलते हैं। झील में इस प्रजाति की ४० किस्मों को डाला जाएगा जिससे पूरा झील फूलों से पटा दिखेगा।
बागवानी विभाग ने दो महीने पहले नम्फिया के करीब १५० पौधे डाले थे जो अगले कुछ महीनों में अपनी रंगीन छटा से आंगतुकों के आकर्षण का प्रमुख केन्द्र बन जाएगा।
गगनचुक्की जलप्रपात की तर्ज पर बनेगा डेक
झील की सुंदरता को बढावा देने के लिए विभाग इसमें लकड़ी के मचान जैसी सुविधा लाने की योजना बना रहा है। मण्ड्या स्थित गगनचुक्की जलप्रपात के मौजूदा डेक की तर्ज पर इसे लागू किया जा सकता है। डेक करीब २० फीट लंबा और 15 फीट चौड़ा होगा जिस पर चहलकदमी करते हुए पर्यटक झील के भीतरी हिस्से का दीदार कर सकेंगे। इसकी मदद से जलाशय क्षेत्र की जैव विविधता की झलक भी देखी जा सकेगी जिसमें जलीय वनस्पति और कई पक्षी तथा जंतुओं को बसेरा है।
टेलीस्कोप भी स्थापित करने का प्रस्ताव
विभाग का कहना है कि पर्यटकों की सुविधा के लिए डेक पर एक टेलीस्कोप स्थापित करने की भी योजना है ताकि टेलीस्कोप की मदद से जलाशय के दूर के हिस्सों की जैव विविधता आसानी से देखी जा सकेगी।