डॉ. रामचन्द्र ने कहा कि मौसम आधारित पसल बीमा योजना मुख्य तौर पर धारवाड़ जिले में खरीफ मौसम में हरी मिर्च तथा इसके बाद के सिजन में आम की फसल के लिए लागू होती है। बारिश, गर्मी, हवाओं की रफ्तार तथा मौसम संबंधित अन्य समस्याओं से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार ने इस योजना को लागू किया है।
उन्होंने कहा कि धारवाड़ तालुक के अम्मिनभावी, धारवाड़ तथा गरग राजस्व केन्द्र, हुब्बल्ली तालुक के छब्बी राजस्व केन्द्र एवं कलघटगी तालुक के दुम्मवाड राजस्व केन्द्र में हरी मिर्च की फसल अधिक उगाई जाती है। इन पांच राजस्व केन्द्र समेत करीब 400 से 500 हेक्टेयर क्षेत्र में प्रति वर्ष हरी मिर्च का उत्पादन किया जाता है।
इस साल 37 प्रतिशत बारिश की कमी होने के कारण अबतक 250 से 300 हेक्टेयर में मात्र हरी मिर्च के पौधों का रोपण किया गया है। डॉ. रामचन्द्र ने कहा कि हरी मिर्च की प्रति हेक्टेयर फसल के लिए किसानों को तीन हजार 550 रुपए अपने हिस्से की किश्त बैंकों में जमा करनी चाहिए।
योजना के मापदंडों के अनुसार फसल नुकसान होने पर किसानों को प्रति हेक्टेयर करीब 71 हजार रुपए मुआवजा मिलता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 -17 में 992 किसानों ने तथा वर्ष 2017-18 में एक हजार 50 किसानों ने बीमा के लिए पंजीयन करवाकर मुआवजा प्राप्त किया है। वर्ष 2018 -19 के लिए एक हजार 6 04 किसानों ने बीमा किश्त जमा की है।
उन्होंने कहा कि मौसम आधारित फसल बीमा योजना से संबंधित प्रति ग्राम पंचायतों को दस्तावेज भेजे गए हैं। ग्राम स्तर पर बागवानी संघ के प्रतिनिधियों तथा अधिकारियों की ओर से बीमा योजना के बारे में जानकारी देने की कार्रवाई की गई है। इच्छुक किसान आगामी 30 जून तक जिले के किसी भी बैंक या सहकारिता संघ में मौसम आधारित फसल बीमा योजना के लिए अपना नाम पंजीयन करवा सकते हैं।
डॉ. रामचन्द्र ने कहा कि बागवानी विभाग की ओर से प्राकृतिक रूप से आहार उत्पादों को सुखाने की इकाई, प्राकृतिक रूप से फल संग्रह इकाई की स्थापना के लिए सहायता राशि दी जा रही है। इच्छुक किसानों को इस योजना का लाभ लेना चाहिए। संवाददाता सम्मेलन में धारवाड़ तालुक बागवानी विभाग के सहायक निदेशक अजित कुमार, राष्ट्रीय बागवानी मिशन की सहायक निदेशक श्रीदेवी ए.एस., सहायक बागवानी अधिकारी प्रवीण कामाटी आदि उपस्थित थे।