पुराने विचारों की रोशनी में नए विचारों का स्वागत करें-देवेन्द्रसागर
पुराने विचारों की रोशनी में नए विचारों का स्वागत करें-देवेन्द्रसागर
बेंगलूरु. जयनगर के राजस्थान जैन संघ में विराजित आचार्य देवेंद्रसागर सूरी ने धर्मसभा में कहा कि समय के साथ चलने में ही भलाई है। समय के साथ चलें, सफलताएं स्वयं हमारे साथ होंगी। लेकिन समय के साथ चलना भी तो कठिन है। वर्तमान के हाथों में जीवन की संपूर्ण जिम्मेदारियां थमीं हैं। हो सकता है, हम परिस्थितियों को न बदल सकें, पर उनके प्रति अपना रुख बदलकर नया रास्ता तो अवश्य खोज सकते हैं। नए रास्ते की खोज के संकल्प से ही खूबसूरत ख्वाबों का दौर साबित होगा। जीवन में बहुत कुछ बेहतरीन होना बाकी है। कई खूबसूरत लम्हे रास्ते में हमारी प्रतीक्षा में हैं। हमारी कई उम्मीदों को अभी उड़ान भरनी है। कई हैरतों से मुलाकात होनी है। कई सुख बाहें फैलाए खड़े हैं। पर समस्या यह है कि हम बेखयाली में जिए जा रहे हैं। दुनिया हमारी ओर मुंह किए खड़ी है और हम कहीं और ही उदास बने खड़े हैं। अपने भरोसे को मजबूत बनाएं, दुनिया में बहुत कुछ आपके लिए है। उन्होंने कहा कि हमारी बेचैनियों का कारण भविष्य के बारे में सोचना नहीं है। यह भविष्य को अपने काबू में करने की चाहत का नतीजा है। भरोसा रखिए कि कुछ भी हो जाए, आप हर समस्या का सामना कर ही लेंगे। परेशानियों को जीतने के अपने पिछले ट्रैक रिकॉर्ड को भी याद रखें। समस्याएं सफलता की नींव हैं। आगे के लिए सबक हैं। जीवन-मृत्यु का प्रश्न नहीं। कहा भी है कि गुलाबों की बरसात कभी नहीं होती। अगर आपको ज्यादा गुलाब चाहिए तो आपको गुलाब के ज्यादा पौधे लगाने के लिए मेहनत करनी होगी। यानी हम जिस लक्ष्य या टारगेट को साधते हैं, उस पर फोकस करना बहुत जरूरी है। जीवन एक गति है, ऊर्जा है, अनुभूति है। जीवन एक यात्रा है। वैसे यात्रा चाहे कोई भी हो, भिन्न विचारों, भिन्न रुचियों, भिन्न आदतों वाले लोग हमें मिलते ही हैं। बस, रेल और हवाई जहाज की यात्रा तो अल्पकालीन होती है जहां सहयात्रियों से तालमेल बिठाने में अधिक कठिनाई नहीं होती, पर हमारे जीवन की यह यात्रा इतनी लंबी है कि इसमें सहयात्रियों से तालमेल बिठाना अधिक चुनौतीपूर्ण होता है। लिहाजा जीवन में बहुत आवश्यक है कि हम पुराने विचारों की रोशनी में नए विचारों का स्वागत करें। नए और पुराने मिलकर यात्रा करें।
Hindi News / Bangalore / पुराने विचारों की रोशनी में नए विचारों का स्वागत करें-देवेन्द्रसागर