हिंसा दुख देने वाली होती है और अहिंसा सुख देने वाली होती है। प्राणी मात्र के प्रति हमें मैत्री का भाव रखना चाहिए। जितना हो सके हिंसा केअल्पीकरण का प्रयास करना चाहिए। आचार्य ने कहा कि अहिंसा-हिंसा का संबंध हमारे भावों से है, चेतना से है। जो अप्रमत्त एवं राग-द्वेष मुक्त हैं वह अहिंसक है। व्यक्ति को राग-द्वेष कम करने का प्रयास करना चाहिए। शांतिदूत ने एक दृष्टांत के माध्यम से प्रेरणा देते हुए कहा कि अहिंसा की आराधना के लिए आदमी को लोभ पर नियंत्रण करना चाहिए। गुस्सा व लड़ाई-झगड़े से व्यक्ति दूर रहें। हमारे भीतर समता रहे तो जीवन अच्छा बन सकता है। आचार्य ने मद्दूरवासियों को अहिंसा के तीनों संकल्प स्वीकार कराए। कॉलेज प्रिंसिपल को प्रेरणा देते हुए कहा कि संस्थान ज्ञान का मंदिर है।
ज्ञान के साथ अच्छे संस्कार दिए जाएं। अच्छा चरित्र रहे तो विद्यार्थी मजबूत बन सकते हैं। अभिवंदना के क्रम में बुरड़ परिवार ने गीत का संगान किया। नवरत्नमल बुरड़, स्नेहा गोखरू व स्थानकवासी समाज से ममता रांका ने अपने विचार रखे। कॉलेज प्रिंसिपल स्वरूपचंद्रा ने आचार्य का स्वागत किया। आचार्य शाम को 8.5 किमी का विहार कर हल्लेबूद्दनुर स्थित गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल पहुंचे।