उन्होंने कहा कि जो उम्र के उत्साही एवं ऊर्जा सम्पन्न प्रारंभिक पड़ाव में धर्म से जुड़ जाते हैं उन्हें जीवन के आखरी पड़ाव में शक्ति क्षीण होने पर पश्चाताप नहीं करना पड़ता है। लेकिन जो प्रारम्भ में धर्म से नहीं जुड़ते हैं उन्हें जीवन के आखरी दौर में शक्तिहीनता के कारण धर्म आराधना से वंचित रहना पड़ जाता है और वे इस देव दुर्लभ अनमोल जीवन को व्यर्थ ही गवा देते हैं। याद रखो सांसारिकजन, धन संपत्ति, जमीन जायजाद यहां तक कि हमारा शरीर एवं इन्द्रिया भी हमें धोखा दे देंगी। ज्ञानीजन कहते हैं काले केशा कीजे काम.. अर्थात जब तक शरीर स्वस्थ है हमें धर्माराधना कर लेनी चाहिए। क्योंकि अस्वस्थ शरीर से सिर्फ पश्चाताप ही कर सकते हैं। इस अवसर पर संघ के पूर्व अध्यक्ष पारसमल सालेचा राजकमल, मरुधरा जैन संघ के पूर्व अध्यक्ष नेमीचंद सालेचा राजकुमार, पारसमल सालेचा राजकेसरी, पारसमल तलेसरा ने ज्ञानमुनि से आगामी रविवार को मधुकर मिश्रीमल मुनि की जयंती के लिए सान्निध्य प्रदान करने की विनती की, जिसकी उन्होंने स्वीकृति प्रदान की। संघ के अध्यक्ष सम्पतराज बडेरा ने बताया कि साध्वी पुनीतज्योति बुधवार सुबह 7.15 बजे अक्कीपेट से विहार करके मागड़ी रोड ईटा गार्डन स्थित जैन स्थानक में प्रवेश करेंगी।