scriptचंद्रमा के फ्लैश का राज क्या है | What is the secret of the moon's flash | Patrika News

चंद्रमा के फ्लैश का राज क्या है

locationबैंगलोरPublished: Jul 14, 2019 09:36:38 pm

Submitted by:

Rajendra Vyas

हम चंद्रमा पर यदा-कदा नजर आने वाली क्षणिक चमक अर्थात फ्लैश के रूप में देखते हैं। इस तरह की घटनाओं की जानकारी वैज्ञानिकों को 1970 के दशक से ही है। वैज्ञानिक साहित्य को खंगालते समय दो खगोल वैज्ञानिकों बारबरा मीडिल हŸट और पैट्रिक मूर ने ऐसी 400 घटनाओं को पाया। यह घटनाएं हैरान करने वाली हैं।

Ramesh Kapoor

चंद्रमा के फ्लैश का राज क्या है

प्रोफेसर रमेश कपूर
जैसा की हम जानते हैं कि चंद्रमा एक अनोखा संसार है। एक ऐसी वीरान जगह जहां पृथ्वी के 14.5 दिन के बराबर का दिन होता है और इतनी ही लंबी रात। यहां हवा नहीं। पृथ्वी के तरह के पानी के सोते या झरने नहीं। कोई हरियाली नहीं। यह हमेशा एक परिवर्तन विहीन संसार समझा गया। लेकिन, फिर भी कुछ तो हलचल इसमें होती है। यह हलचल रहस्यमयी है। जिन्हें हम चंद्रमा पर यदा-कदा नजर आने वाली क्षणिक चमक अर्थात flash के रूप में देखते हैं। इस तरह की घटनाओं की जानकारी scientists को 1970 के दशक से ही है। वैज्ञानिक साहित्य को खंगालते समय दो खगोल वैज्ञानिकों बारबरा मीडिल हŸट और पैट्रिक मूर ने ऐसी 400 घटनाओं को पाया। यह घटनाएं हैरान करने वाली हैं। इस घटना में चंद्रमा की सतह पर कोई छोटा सा क्षेत्र अचानक चमक उठता है फिर वापस कांतिहीन हो जाता है। 1967 में एक खगोल वैज्ञानिक ने इन्हें क्षणिक चंद्र घटनाएं नाम दिया। जो रोशनी देखी जाती है वह थोड़ी लालिमा लिए है जिसमें कभी फूलझड़ी जैसा आभास होता है। इस क्षणिक चमक में लगभग 20 किमी का क्षेत्र शामिल होता है। जिसके अंदर चमक बिंदु 3 से 5 किमी के घेरे में फैले हो सकते हैं। यह क्षणिक चमक लगभग 20 मिनट तक बनी रह सकती है परंतु यह कभी कई घंटों तक बनी रहती है। एक मध्यम आकार के दूरदर्शी से भी कभी-कभी इन बिंदुओं का नजारा किया जा सकता है। लेकिन, चंद्रमा की जमीन पर ये कहां उत्पन्न होंगे इसका पूर्वानुमान नहीं किया जा सकता। इस घटना के होने के बाद चांद की सतह पर कुछ छूटे निशान हों ऐसा नहीं पाया गया। इन घटनाओं पर समय-समय पर चर्चा तो हुई किंतु कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकला है।
यह घटनाएं एक Week में कई बार हो जाती हैं। इसी वर्ष इन घटनाओं की गहरी जानकारी के लिहाज से एक वेधशाला बनाई गई है। इसके उपकरण दो कैमरे हैं जो Spain में सर्विल नामक स्थान के उत्तर में एक-दूसरे से 100 किमी की दूरी प रखे गए हैं। इनके चित्रों को Germany में स्थित वुर्जबर्ग के जूलियस मैक्सीमिलियस विश्वविद्यालय में भेजा जाता है। वैज्ञानिकों का विश्वास है कि शीघ्र ही वे इन क्षणिक चमकों के मूल का पता लगा लेंगे। कुछ वैज्ञानिकों का विचार है चंद्रमा में भूकंप जैसे कंपन होते हैं। ऐसे में इसके अंदर की गैसें बाहर निकल आती हैं जो सूर्य की रोशनी में चमक उठती हैं। लेकिन, अंतिम शब्द नहीं है।
महत्वपूर्ण तथ्य
* चांद में छुपे हैं धरती और Solar System के गहरे राज
* चांद का तापमान अधिकतम 130 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम माइनस 180 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है
* अभी तक के चंद्र अभियानों ने चंद्रमा पर जीवन की पुष्टि नहीं की है
* चंद्रमा का एक ही पक्ष हम देख पाते हैं क्योंकि पृथ्वी के Gravity ने चांद की घुर्णन गति को इस तरह धीमा कर दिया है कि पृथ्वी की परिक्रमा करने में लगने वाले समय से मेल खाता है।
* चंद्रमा का व्यास पृथ्वी की एक चौथाई और द्रव्यमान पृथ्वी के 81 वें हिस्से के बराबर है।
* चंद्रयान-2 देश का दूसरा चंद्र मिशन है
* चंद्रयान-2 के साथ भेजे जाने वाला रोवर चांद पर 500 मीटर की दूरी तक चहलकदमी करेगा।
* अभी तक 38 बार हुई चांद पर Soft landing की कोशिशें, सफलता दर 52 फीसदी।
* भारत का पहला मिशन जो किसी अन्य पिंड पर सॉफ्ट लैंडिंग की करेशा कोशिश
* सफलता मिली तो विश्व का चौथा देश चांद पर करेगा सॉफ्ट लैंडिंग

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