बताया जाता है कि प्रदेश कांगे्रस के नेताओं ने ही ऐसी प्रतिकूल स्थिति से बचने के लिए आलाकमान से दखल देने की मांग की थी। कांगे्रस नेताओं का कहना है कि कुमारस्वामी ने सार्वजनिक तौर पर बयान देकर पार्टी की मुश्किल बढ़ा दी तो सिद्धरामय्या ने कृषि ऋण माफी और अन्न भाग्य योजना में अनाज की कटौती के खिलाफ कुमारस्वामी को पत्र लिखकर भी पार्टी को संकट में डाला।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि दोनों ने ही नेताओं सार्वजनिक तौर पर अपनी बातें कर गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया। उक्त नेता ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच पुराने मतभेद छिपे नहीं है लेकिन गठबंधन की अपनी सीमाएं हैं। पिछले चार सप्ताह के दौरान सिद्धरामय्या ने कुमारस्वामी को करीब 8 पत्र लिखे।
इनमें से तीन उनके चुनाव क्षेत्र बादामी से संबंधित थे जबकि बाकी डीजल-पेट्रोल उपकर की वापसी, अन्न भाग्य योजना के तहत अनाज की मात्रा में कटौती वापस लेने और पिछली सरकार के समय विश्वविद्यालयों में नामित किए गए सिंडिकेट सदस्यों को नहीं हटाने के बारे में थे। उक्त नेता ने कहा कि इतने कम समय में कई पत्र लिखे जाने की कोई आवश्यकता नहीं थी।
स्वभाविक तौर पर कुमारस्वामी इससे खफा हुए और पिछले सप्ताह जद-एस के कार्यक्रम में भावुक हो गए और बिना कांग्रेस या किसी नेता का नाम लिए गठबंधन का जहर पीने की बात कह दी। उक्त नेता ने कहा कि यह पहला मौका नहीं है जब कुमारस्वामी ने गद्दी संभालने के बाद इस तरह का बयान दिया है जिसका इशारा अप्रत्यक्ष तौर पर कांग्रेस की ओर हो।
उक्त नेता ने कहा कि कुमारस्वामी और उनके पिता व पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा अक्सर ऐसे बयान देते हैं जिससे लगे कि दोनों दलों के बीच रिश्ते मेंं खटास है। उक्त नेता ने कहा कि कुछ महीनों बाद होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस चाहती है कि दोनों दलों के रिश्ते अच्छे बने रहे हैं और इसी कारण आलाकमान ने दोनों नेताओं को पत्र युद्ध नहीं करने की सलाह दी है।
उक्त नेता ने कहा कि वर्ष 2004-06 के बीच जब धरम सिंह के नेतृत्व में जद-एस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार थी तब सिद्धरामय्या उपमुख्यमंत्री थे। हालांकि, दोनों नेताओं के रिश्ते बाद में तल्ख हो गए। तब देवेगौड़ा अक्सर छोटे-मोटे मसलों पर सिद्धरामय्या को पत्र लिखा करते थे। अब यही काम सिद्धरामय्या कर रहे हैं।
सिद्धरामय्या गठबंधन समन्वय समिति के भी अध्यक्ष हैं और वे चाहें तो ऐसे मसलों को सार्वजनिक किए बिना भी सुलझा सकते हैं लेकिन उनके पत्र लिखने से गठबंधन की समस्याएं बढ़ रही हैं।