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बैंगलोर

सितारों से आगे जहां और भी है…

प्रख्यात शायर अल्लामा इकबाल का यह शेर शनिवार को यहां ईरानी मूल की अमरीकी अंतरिक्ष यात्री डॉ. अनुशेह रायस्यान

बैंगलोरFeb 06, 2016 / 11:20 pm

शंकर शर्मा

bangalore photo

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राजेन्द्र गुप्ता
हुब्बल्ली. सितारों से आगे जहां और भी हैं, अभी इश्क के इम्तहां और भी हैं… प्रख्यात शायर अल्लामा इकबाल का यह शेर शनिवार को यहां ईरानी मूल की अमरीकी अंतरिक्ष यात्री डॉ. अनुशेह रायस्यान अंसारी से राजस्थान पत्रिका की विशेष बातचीत में चरितार्थ होती प्रतीत हुई।

डॉ. अनुशेह ने कहा कि वे बचपन से अंतरिक्ष यात्रा के सपने देखती थीं। अनेक चुनौतियों के बाद आखिर वे इसमें कामयाब रहीं। धरती से 220 मील की ऊंचाई पर अंतरिक्ष स्टेशन से जब धरती पर सूर्योदय रोमांच चरम पर था। अंतरिक्ष का नजारा अविस्मरणीय था।

उनका कहना था कि इंसान ध्यान (मेडिटेशन) के जरिए मस्तिष्क में बाह्य अंतरिक्ष की तरह ही अंतरिक्ष, सितारे व निहारिकाएं देख सकता है। अंतरिक्ष यात्रा से पूर्व यात्री को ध्यान कराया जाता है ताकि भारहीनता व हमारे अंतस में स्थित अंतरिक्ष से रू-ब-रू हो सकें। इससे पूर्व वे मेडिटेशन के बारे में जानती तक नहीं थीं। इसके कारण ही वे सफल अंतरिक्ष यात्री बन सकीं।

क्या वे जानती है कि ध्यान व योग की शिक्षा भारत की ही देन है, इस पर उन्होंने कहा- ‘भारतीय ज्ञान व बौद्धिकता से चमत्कृत हूं।

पहली बार मेडिटेशन से पूर्व मैं मंकी ब्लाइंड थी, लेकिन जब मेडिटेशन करने लगी तो अहसास हुआ कि हमारे मस्तिष्क में ही सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड है। मस्तिष्क में ही तारे, निहारिकाएं और आकाशगंगा के दर्शन होते हैं।उन्होंने बताया कि मुस्लिम महिला होने से उन्हें अंतरिक्ष यात्रा से पूर्व कुछ विरोध का सामना करना पड़ा।

 जब यात्रा पूर्ण कर धरती पर लौटी तो वे महिलाओं व युवाओं की चहेती बन गईं।आज कई देश गरीबी व अन्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। ऐसे में वे अंतरिक्षीय अभियानों को ज्यादा महत्व देंगी या गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों को, इस पर वे बोलीं- हर देश को अपने विकास की मंजिल तय करने के लिए दूरदर्शी कदम उठाने पड़ते हैं। गरीबी उन्मूलन, युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने सहित अनेक कार्यक्रम समानांतर चलाते हुए विज्ञान व तकनीकी विकास के लिए अंतरिक्ष कार्यक्रम महत्वपूर्ण हैं।

खुद को बदलना होगा
इससे पूर्व यहां विद्यानगर के बीवी भूमारेड्डी इंजीनियरिंग कॉलेज परिसर में डवलपमेंट डायलॉग में उपस्थित संभागियों से चर्चा में डॉ. अंसारी ने कहा कि जीवन में प्रगति के लिए यह जरूरी नहीं कि कोई आपको बदले, इसके बजाय आपको खुद को बदलना होगा। सपने बड़े रखें, इसमें कोई बंदिश न हो। सपनों का पीछा करें और रोज इन्हें दोहराएं। मंजिल अवश्य मिलेगी। संवाद सत्र में देशपांडे फाउंडेशन की निदेशक (अनुदान) नीलिमा माहेश्वरी ने भी चर्चा की। डॉ. अनुशेह ने वक्ताओं की जिज्ञासा का शमन किया।

पत्रिका पब्लिकेशन की सराहना
डॉ. अनुशेह अंसारी ने राजस्थान पत्रिका के प्रकाशन संस्थान पत्रिका पब्लिकेशन की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि उनकी अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित जीवनी ‘माय ड्रीम्स और स्टार्स’ का सरल व प्रभावी हिन्दी रूपांतरण पत्रिका पब्लिकेशन ने ‘सितारों के सपने’ नाम से करके हिन्दी भाषियों को यह पुस्तक उपलब्ध कराने का प्रशंसनीय कार्य किया है। इस पुस्तक में पत्रिका पब्लिकेशन ने उनकी धरती व अंतरिक्ष दोनों ही अवसरों पर घटित रोचक व रोमांचक प्रसंग, अनुभव व संस्मरणों का सरल व प्रवाहमयी भाषा शैली में प्रकाशन किया है।

संक्षिप्त परिचय
12 सितम्बर 1966 को ईरान में जन्मी डॉ.अनुशेह अंसारी ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग व कम्प्यूटर साइंस में शिक्षा ग्रहण करने के बाद रूस के कजाकिस्तान स्थित बैकानूर अंतरिक्ष स्टेशन से सितम्बर 2006 में सोयूज यान से अंतरिक्ष की यात्रा की थी। वर्तमान में वे प्लानो, टैक्सास में बिजनेस वुमन हैं।




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