विक्षोभ से बना दबाव
दरअसल, अफगानिस्तान में एक बड़े भूकंप के बाद राज्य में भूकंपीय गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, राज्य के भू-वैज्ञानिक एकमत है कि इन घटनाओं को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। दक्कन का पठार एक सुरक्षित क्षेत्र है। ये झटके आवश्यक हैं क्योंकि विक्षोभ के कारण उत्पन्न दबाव हल्के झटके के रूप में निकल रहा है।
दरअसल, अफगानिस्तान में एक बड़े भूकंप के बाद राज्य में भूकंपीय गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, राज्य के भू-वैज्ञानिक एकमत है कि इन घटनाओं को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। दक्कन का पठार एक सुरक्षित क्षेत्र है। ये झटके आवश्यक हैं क्योंकि विक्षोभ के कारण उत्पन्न दबाव हल्के झटके के रूप में निकल रहा है।
भूकंप की ये घटनाएं क्षेत्रीय नहीं हैं। भारतीय उपमहाद्वीप हमेशा गतिशील रहता है। हर साल उपमहाद्वीप 0.5 सेंटीमीटर आगे बढ़ रहा है। इसलिए, हमेशा कुछ आंतरिक अशांति रहेगी। अगर यह दबाव बना रहा और हल्के झटके के रूप में बाहर नहीं आया तो यह बड़ी घटना का कारण बन सकता है। छोटे-छोटे झटकों से निकलने वाली ये भूकंपीय गतिविधियां सुरक्षित हैं। भूवैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि रिक्टर पैमाने पर 5 की तीव्रता वाला भूकंप आने पर भी सुरक्षित रहेंगे।

खान एवं भूगर्भ विभाग की निदेशक ने लक्षमाम्मा कहा कि नदी घाटियां खुद भ्रंश और एक कमजोर क्षेत्र हैं जिससे कठोर चट्टान वाले इलाके में दरारें बनती हैं। जब भी बारिश होती है पानी भ्रंश क्षेत्रों (फॉल्ट जोन) में रिस जाता है और खाली जगहों में भर जाता है। एक अन्य भूविज्ञानी प्रोफेसर रेणुका प्रसाद ने भी कहा कि ये चिंता की बात नहीं है। दुनिया भर में और कई जगहों पर भूकंप आते रहे हैं। इन घटनाओं के बारे में पता चल रहा है क्योंकि यह सूचना का युग है। भूकंपीय गतिविधियों के अध्ययन के लिए विभिन्न स्थानों पर अधिक उपकरण स्थापित किए गए हैं इसलिए वास्तविक समय में जानकारी मिलती है और हम घबरा जाते हैं।
मकान निर्माण में अच्छी सामग्री का करें उपयोग
नृपतुंग विश्वविद्यालय के हाइड्रो-जियोलॉजिस्ट प्रोफेसर डॉ कुमार सी. ने बताया कि उत्तरी कर्नाटक के विजयपुर में शनिवार को भूकंपीय गतिविधियों की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर दो से बढ़कर 4.4 हो गई। ये भूकंपीय गतिविधियां कुछ संकेत देती हैं कि हमें सतर्क रहना चाहिए और इमारतों के निर्माण के लिए घटिया सामग्री का उपयोग करने से बचना चाहिए।
नृपतुंग विश्वविद्यालय के हाइड्रो-जियोलॉजिस्ट प्रोफेसर डॉ कुमार सी. ने बताया कि उत्तरी कर्नाटक के विजयपुर में शनिवार को भूकंपीय गतिविधियों की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर दो से बढ़कर 4.4 हो गई। ये भूकंपीय गतिविधियां कुछ संकेत देती हैं कि हमें सतर्क रहना चाहिए और इमारतों के निर्माण के लिए घटिया सामग्री का उपयोग करने से बचना चाहिए।
भ्रंश क्षेत्र के कारण भी समस्या
इस बीच, खान और भूविज्ञान विभाग के सूत्रों ने बताया कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) सूरतकल के भूवैज्ञानिकों की एक टीम ने घटना का अध्ययन करने के लिए कोडुगू का दौरा किया। कोडुगू जिले के मडिकेरी और उसके आसपास भूकंप की सात से आठ घटनाएं हुई हैं जिसके कारण टीम को वहां भेजा गया। अध्ययन से पता चला है कि कोडुगू सिस्मोग्राफ के जोन -3 में आता है। कोडुगू एक कठोर चट्टानी इलाका है जो चारनोकाइट से बना है।
इस बीच, खान और भूविज्ञान विभाग के सूत्रों ने बताया कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) सूरतकल के भूवैज्ञानिकों की एक टीम ने घटना का अध्ययन करने के लिए कोडुगू का दौरा किया। कोडुगू जिले के मडिकेरी और उसके आसपास भूकंप की सात से आठ घटनाएं हुई हैं जिसके कारण टीम को वहां भेजा गया। अध्ययन से पता चला है कि कोडुगू सिस्मोग्राफ के जोन -3 में आता है। कोडुगू एक कठोर चट्टानी इलाका है जो चारनोकाइट से बना है।
टीम ने यह जानने की कोशिश की कि कठोर चट्टान पर अवस्थित होने के बावजूद कोडुगू में क्यों भूकंपीय झटके आए। टीम ने पाया कि मैसूरु विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग और जीएसआइ ने कोडुगू में पाई जाने वाली मिट्टी के प्रकार का भी अध्ययन किया था। पता चला कि एक यहां एक कमजोर क्षेत्र है। एक तरफ कोडुगू ब्लॉक है और दूसरी तरफ पश्चिमी घाट ब्लॉक। दोनों ब्लॉक एक-दूसरे से भिन्न दिशा में आगेे बढ़ रहे हैं। इसलिए कुछ गड़बड़ी हो रही है। यह लगभग 30-50 किमी चौड़ाई वाला 100 किमी लंबा क्षेत्र है जो केरल के कासरगोड़ से पलक्कड़ तक है। इसके अलावा कावेरी नदी घाटी अपने आप में एक भ्रंश क्षेत्र है जो इसे भूकंपीय गतिविधियों को जन्म देती हैं। लेकिन, येे प्रमुख विक्षोभ क्षेत्र नहीं हैं।