अदालत ने मौखिक रूप से इसका उल्लेख करते हुए कहा कि अगर इस तरह के शादियों के आयोजन की इजाजत दी जाएगी तो आम जनता भी ऐसे ही अनुमति चाहेगी। हालांकि, सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि रामनगर के उपायुक्त को शादी समारोह में शामिल होने वाले मेहमानों की संख्या का उल्लेख करना चाहिए था। अदालत ने कहा कि सरकार गृह मंत्रालय के आदेशों की खामियों का लाभ उठाने के लिए एक निजी मुकदमेबाज की तरह व्यवहार नहीं कर सकती। सरकार ने यह भी कहा कि अब आगे 50 से अधिक लोगों को शादी समारोह में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस मामले में अगली सुनवाई अब 18 अप्रेल को होगी।