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राजनीति केंद्रित मीडिया क्यों हो रही सामाजिक संवेदना से दूर

locationबैंगलोरPublished: May 20, 2019 05:36:45 pm

Submitted by:

Priyadarshan Sharma

चैनल हो या प्रिंट मीडिया दोनों में राजनेताओं की बयानबाजी को ही वरीयता मिलती है

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राजनीति केंद्रित मीडिया क्यों हो रही सामाजिक संवेदना से दूर

बेंगलूरु. वर्तमान में मीडिया केवल राजनीति तक केंद्रित होने के कारण मीडिया में सामाजिक संवेदनाएं नदारद होती जा रही हैं। समाचार विश्लेषक महादेवप्रसाद ने यह बात कही। रविवार को शहर के नरसिम्हराजा कॉलोनी के बीएम श्रीकंठय्या प्रतिष्ठान की ओर से आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि करोड़़ों रुपए का निवेश करने वाले चैनलों के लिए सिद्धांतों के साथ समझौता करते हुए कई समाचारों का प्रसारण करना अनिवार्य होता है।
उन्होंने कहा कि चैनल हो या प्रिंट मीडिया दोनों में राजनेताओं की बयानबाजी को ही वरीयता मिलती है। ऐसे में मीडिया में सामाजिक समस्याएं उनका समाधान, समाज के शोषितों की आवाज को कोई स्थान नहीं मिल रहा है। मीडिया समाज विमुख होता जा रहा है। मीडिया में सच्ची, अच्छी और जनहितैषी खबरों के बदले सनसनीखेज खबरों को ही प्राथमिकता मिल रही है। मीडिया प्रबंधन की धारणा यह है कि लोगों को केवल ऐसी खबरों में ही रुचि है। मगर यह वास्तविकता नहीं है।
पहले लोगों को समाचार पत्रों पर भरोसा था। आम लोगों के लिए समाचार पत्र ही एक ऐसा सशक्त मंच था, जिसके माध्यम से वे सरकार तक पहुंच सकते थे। लेकिन आज ऐसे हालांत नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारी दैनंदिन बोलचाल की भाषा हमारे संस्कृति की द्योतक है। इसलिए मीडिया में जिस प्रकार की भाषा का उपयोग किया जा रहा है, इस पर हमें आत्मावलोकन करना होगा। हमें इस बात की समीक्षा करनी होगी की मीडिया में सामाजिक समस्याओं के निराकरण के लिए कौन से प्रयास किए जा रहे हैं। इस अवसर पर प्रेमकुमार रवीहब्बे, प्रो. एमएच कृष्णय्या ने विचार व्यक्त किए।

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