उन्होंने कहा कि दोनों दलों के नेताओं को भाजपा के ऑपरेशन कमल का अंदेशा भी है। उन्हें राजमीति में ४० साल का अनुभव है, इसी आधार पर यह बात कह रहे हैं। दो निर्दलीय विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल करने का फैसला लिया गया है, इससे अन्य असंतुष्ट विधायक फिर बगावत पर उतर आएंगे।
रानीबेन्नूर के निर्दलीय विधायक आर. शंकर को सीएस शिवल्ली के निधन से रिक्त हुआ पद कांग्रेस के कोटे से देने का फैसला किया गया है। जबकि जद-एस कोटे से मुलबागल के विधायक नागेश को मंत्री बनाने पर सहमति बनी है। शेष एक मंत्री का पद किसे देना है, इसको लेकर दोनों दलों के नेता असमंजस में हैं। कांग्रेस के विधायक रमेश जारकीहोली की खामोशी ने मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी और कांग्रेस के नेताओं को परेशान कर रखा है। कांग्रेस ने अब जारकीहोली को मनाने का इरादा छोड़ दिया है। कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरामय्या ने भी रमेश जारकीहोली को मंत्रिमंडल में शामिल करने को लेकर कोई रुचि नहीं दिखाई है।
उन्होंने कहा कि सिद्धरामय्या ने जद-एस के कोटे से हिरेकेरूर के विधायक बीसी पाटिल को मंत्री बनाने का सुझाव रखा है। इससे मंत्रिमंडल में लिंगायत समुदाय के नेताओं का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। असंतुष्ट विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया तो रमेश जारकीहोली फिर बगावात कर सकते हैं। इस माह के अंत में या अगले माह जुलाई के पहले सप्ताह में विधानमंडल का मानसून अधिवेशन आरंभ होगा। उस समय बगावात हुई तो सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी।