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मौन से मुसीबतों को जीतें, मुस्कान से समस्या सुलझाएं

locationबैंगलोरPublished: Nov 04, 2017 09:28:28 pm

विजयनगर में प्रवचन शृंखला में राष्ट्र संत चन्द्रप्रभ सागर ने कहा कि किसी के द्वारा की गई छोटी-सी अवहेलना के कारण स्वयं

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बेंगलूरु. विजयनगर में प्रवचन शृंखला में राष्ट्र संत चन्द्रप्रभ सागर ने कहा कि किसी के द्वारा की गई छोटी-सी अवहेलना के कारण स्वयं को इतना उद्वेलित मत कीजिए कि आपके द्वारा तीखी टिप्पणियां होने लग जाएं।

निमित्तों का विपरीत होना नैसर्गिक है, पर स्वयं को विपरीत बना बैठना स्वयं की पराजय है। यदि आपको लगता है कि आप सत्य हैं, और सामने वाला दोषी, तब भी दूसरों के दोष निकालने की बजाय स्वयं को मौन और निरपेक्ष कर लेना अधिक बेहतर है। जीवन में मौन और मुस्कान दोनों को महत्व दीजिए। मौन हमें कई मुसीबतों से बचाएगा, वहीं मुस्कान से कई समस्याओं का समाधान निकल आएगा।

उन्होंने कहा कि दूसरों पर टिप्पणी करने से आप उन्हें आघात पहुंचाते हैं। उनकी नजरों में चढऩे की बजाय आप उल्टे गिरते हैं और संबंधों में खटास डाल बैठते हैं।

किसी को अपमानित करने की बजाय विनम्रतापूर्वक पेश आते हैं तो निश्चय ही आप सत्य, शांति और विवेक के अधिक निकट होते हैं। क्यों न हम स्वयं को उस गौ माता की तरह बना लें जो सूखी घास खाकर भी बदले में मीठा दूध लौटाती है। विनम्रता से विवेक का जन्म होता है और विवेक से सत्य का। सत्य में प्रभु का निवास है और प्रभुता वहीं है जहां जीवन में विवेक और विनम्रता है। विवेक को अपने जीवन की तीसरी आंख समझिए। इसका तब भी उपयोग कीजिए जब दोनों आंखें बन्द हों। विवेक को अपना शिक्षक और गुरु बनाइए। मन में आए जो बोलना या करना केवल निरंकुशता की निशानी है।

कार्य को विवेकपूर्वक सम्पादित करना ही जीवन की सफल पंूजी है। ईष्र्या, क्रोध और चिंता, ये तीनों ही विवेक के शत्रु हैं। सम्मान, शांति और संतोष, ये तीनों विवेक के मित्र हैं। सबको सम्मान दीजिए, दूसरों के लिए भी शांति के निमित्त बनिए और भगवत्कृपा से जो कुछ मिला है उसका संतोषपूर्वक आनंद लीजिए। विवेक का अर्थ है, शांति से सोचिए, शांति से कहिए और शांति से ही कीजिए।


बड़ों का सम्मान करें। विवेकपूर्वक किया गया कार्य ही उसे श्रेष्ठता प्रदान करता है। विवेक की रोशनी को यदि हम हर हालत में अपने साथ रखते हैं तो निश्चय ही हम पूनम के चांद की तरह सुख, शांति और माधुर्य के मालिक बन सकते हैं।
इससे पूर्व संतश्री का विजयनगर पहुंचने पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने बधावणा किया। कार्यक्रम में रतनचंद, रमेशकुमार, अनिल कुमार भण्डारी के साथ अच्छी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

विदाई समारोह आज
अध्यक्ष महेन्द्र रांका ने बताया कि राष्ट्र संत ललितप्रभ सागर, चन्द्रप्रभ सागर और डॉ. मुनि शांतिप्रिय सागर चातुर्मास पूर्ण कर 5 नवम्बर को चेन्नई की ओर विहार कर रहे हैं। संतप्रवर रविवार सुबह 8.45 बजे विमलनाथ जैन मंदिर बसवनगुड़ी से विहार कर महाकवि कुवेंपु कलाक्षेत्र पहुंचेंगे, जहां भव्य विदाई समारोह आयोजित होगा।

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