इस सीट पर हमारी जीत अपेक्षित थी, क्योंकि यहां पर भाजपा के पक्ष में कोई सहानुभूूति की लहर नहीं थी। इस सीट पर कांग्रेस की जीत गठबंदन सरकार की जीत नहीं है क्योंकि सौम्या रेड्डी इस क्षेत्र में सक्रिय रही हैं और इसी से उनको जीतने में मदद मिली है।
अपवित्र गठजोड़ के कारण कम वोटों से हारे
बेंगलूरु. प्रदेश भाजपाअध्यक्ष बीएस येड्डियूरप्पा ने कहा कि जयनगर में कांग्रेस तथा जनता दल-एस के बीच हुए तालमेल के कारण पार्टी प्रत्याशी की हार हुई है। येड्डियूरप्पा ने कहा कि हमारे उम्मीदवार प्रहलाद की कम वोटों के अंतर से हार हुई है। पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनकी जीत के लिए दिन-रात परिश्रम किया, जिसके लिए वे उनको धन्यवाद देते हैं। अंतिम घड़ी में जद-एस के उम्मीदवार कालेगौड़ा को चुनाव मैदान से हटा लिए जाने के कारण हम पिछड़ गए। प्रह्लाद बाबू नया चेहरा थे और लोगों से उनका इतना परिचय नहीं था, इसके बावजूद मतदाताओं ने उनको अधिक वोट दिए।
बेंगलूरु : भाजपा के गढ़ में कांग्रेस की सेंध
मध्यम और उच्च मध्यम वर्ग की अधिक आबादी के कारण बेंगलूरु शहर को भाजपा का मजबूत सियासी गढ़ माना जाता था लेकिन जयनगर सीट पर जीत के साथ ही कांग्रेस ने भाजपा के इस किले में भी सेंध लगा दी। कांग्रेस का अब शहर की २८ विधानसभा सीटों में १५ पर कब्जा है जबकि कांग्रेस और जद-एस गठबंधन के पास १७ सीटें हैं। भाजपा के पास ११ सीटें हैं जबकि जद-एस के पास २ सीटें हैं।
२००८ में भाजपा के पास शहर की १४ और २०१३ में १३ सीटें थी। विश£ेषकों का कहना है कि बेंगलूरु में कांग्रेस की बढ़त के पीछे पार्टी से ज्यादा नेताओं के चेहरे का कमाल है। बैरती बंधुओं-सुरेश व बसवराज के अलावा दिनेश गुंडूराव, कृष्णा बैरेगौड़ा, जमीर अहमद जैसे नेताओं अपने बल पर चुनाव जीतने में सफल रहे। कुछ क्षेत्रों में कांग्रेस के लिए उम्मीदवारों का चयन फायदेमंद रहा तो कुछ क्षेत्रों में कांग्रेस को इसके कारण नुकसान भी उठाना पड़ा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व उपमुख्यमंत्री डॉ जी परमेश्वर ने भी सौम्या की जीत पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि शहर में अब भाजपा पर कांग्रेस को बढ़त हासिल है।