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बैंगलोर

शो पीस बने शौचालय, पानी बिना कैसे हो उपयोग

स्वच्छ भारत मिशन पोर्टल के अनुसार राज्य सरकार ने 27044 गांवों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया है। स्वच्छ भारत के तहत अक्टूबर 2014 से अब तक राज्य में करीब 35 लाख शौचालयों का निर्माण हुआ। विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में शौचालय बने। इसके बावजूद कई गांवों में आज भी बड़ी संख्या में लोग खुले में शौच नहीं छोड़ पा रहे हैं। पानी की कमी बड़ा कारण है।

बैंगलोरOct 12, 2019 / 07:50 pm

Nikhil Kumar

शो पीस बने शौचालय, पानी बिना कैसे हो उपयोग

शो पीस बने शौचालय, पानी बिना कैसे हो उपयोग

खुले में शौच से मुक्त घोषित गांवों में फिर सर्वेक्षण जरूरीे

बेंगलूरु.

कर्नाटक को खुले में शौच से मुक्त (ODF – Open defecation free) करने के अभियान में जल संकट (Water Crisis) की विपदा बड़ी बाधा बन रही है। स्वच्छ भारत मिशन पोर्टल (Swachh Bharat Mission Portal) के अनुसार राज्य सरकार ने 27044 गांवों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया है। स्वच्छ भारत के तहत अक्टूबर 2014 से अब तक राज्य में करीब 35 लाख शौचालयों का निर्माण हुआ। विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में शौचालय बने।

पिछले पांच वर्षों में व्यापक स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए गए। इसके बावजूद कई गांवों में आज भी बड़ी संख्या में लोग खुले में शौच नहीं छोड़ पा रहे हैं। इसी कारण अब ओडीएफ घोषित गांवों की दोबारा समीक्षा की जरूरत महसूस की जा रही है।

अधिकारियों के अनुसार हजारों शौचालय (Toilet) निर्मित हुए हैं, लेकिन इस सच्चाई से इनकार नहीं किया जा सकता है कि अब भी लोग खुले में शौच को जा रहे हैं। विभिन्न ऐजेंसियों की समीक्षा में सामने आया है कि कई गांवों में शौचालय निर्माण के बाद भी उपयोग नहीं करने का एक मुख्य कारण पानी की कमी है। गांवों में पर्याप्त मात्रा में पानी की आपूर्ति बड़ी बाधा बनी है और इस वजह से लोग पानी की किल्लत में खुले में शौच को मजबूर है।

राज्य सरकार की रिपोर्ट कहती है कि जल संकट से जूझते कई गांवों में लोगों को पानी मुहैया कराने के लिए वर्ष 2019 की पहली तिमाही में करीब 6000 ग्राम पंचायतों में 10 हजार बोरवेल खुदवाए गए। वहीं वर्ष 2018 में करीब 4000 बोरवेल खुदवाए गए थे। इसके बावजूद गर्मी के दिनों में कई गांवों में पर्याप्त मात्रा में पानी की आपूर्ति नहीं हुई। लोगों को जल जरूरतों को पूरा करने के लिए या तो टैंकर पर आश्रित रहना पड़ा या फिर कुछ जगहों पर एक से दो किमी की दूरी से पानी लाने की नौबत आई। ऐसे में शौचालय उपयोग के दौरान पानी की कमी बाधा बनती है और पानी बचाने के मकसद से भी खुले में शौच को जाते हैं।

बेंगलूरु के 26 वार्ड नहीं हुए ओडीएफ
सार्वजनिक शौचालय निर्माण के लिए जगह की कमी सहित राज्य सरकार द्वारा इस दिशा में समय से पर्याप्त फंड जारी नहीं करने के अभाव में बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (BBMP) के 198 वार्ड में से सिर्फ 172 ही खुले में शौच से मुक्त हो सके हैं। शहर के 26 वार्ड को ओडीएफ का इंतजार है। बीबीएमपी के मुख्य अभियंता एसएल विश्वनाथ के अनुसार लोग नहीं चाहते हैं कि उनके घर और दुकानों के पास शौचालय बने। इसलिए कई आवासीय और वाणिज्यिक क्षेत्र में शौचालय निर्माण में विरोध का सामना करना पड़ता है। इन्हीं कारणों से अब तक 26 वार्ड ओडीएफ घोषित नहीं हो पाए हैं।

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