भगवान शब्द दो शब्दों का मेल-साध्वी भव्यगुणाश्री
बैंगलोरPublished: Jun 03, 2022 07:25:22 am
धर्मसभा का आयोजन
भगवान शब्द दो शब्दों का मेल-साध्वी भव्यगुणाश्री
बेंगलूरु. कुंथुनाथ जैन श्वेेताम्बर मूर्तिपूजक संघ श्रीनगर में विराजित साध्वी भव्यगुणाश्री व साध्वी शीतलगुणाश्री ने कहा कि कभी आपने सोचा है। भगवान को आखिर भगवान ही क्यों कहा जाता है। भगवान शब्द का अर्थ क्या होता है। क्यों कहते हैं कि हर इंसान में भगवान बनने की संभावना होती है। ऐसे सभी प्रश्नों का उत्तर आप ढूंढते होंगे, लेकिन यह जवाब बहुत कम लोग जानते हैं। वास्तव में भगवान कोई व्यक्ति नहीं है बल्कि कुछ गुणों की सम्पन्नता के कारण उनकी उपाधि है। साध्वी भव्यगुणाश्री ने कहा कि अगर मनुष्य इन गुणों से युक्त हो जाए तो उसे भी भगवान की उपाधि मिल सकती है। लेकिन एक साथ एक ही व्यक्ति में इतने गुणों होना असंभव है। दरअसल भगवान शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है भग और वान। भग शब्द छह गुणों का मिश्रित रूप है ये छह चीजें हैं। श्री, शौर्य, वैभव, कीर्ति, ज्ञान और वैराग्य। इन छह गुणों के पैकेज को भग कहते हैं तथा इनके धारण के करने वाला भगवान कहलाता है, जैसे बलवान, धनवान, शक्तिवान आदि शब्द हैं। कहते हैं साधारण मनुष्यों में इन छह गुणों का मिलना लगभग असंभव है। इसलिए भगवान नहीं बन सकते लेकिन जब कोई व्यक्ति इन सभी गुणों को अपने भीतर समाहित कर लेगा वह भी भगवान हो सकता है। साध्वी शीतलगुणाश्री ने कहा कि अच्छाई के प्रति समर्पण तथा भक्ति से शांति प्राप्त होती है। जो लोग प्रेममय हैं, जो निश्चलता का अभ्यास करते हैं और जिन्हें ध्यान में तथा सत्कार्यों में आनंद आता है, वे वास्तविक रूप से शांत हैं। शांति ईश्वर की वेदी है, वह अवस्था जिसमें सच्चा सुख विद्धमान है। पारस भंसाली ने बताया कि राजेन्द्र सूरी दादावाड़ी वीवीपुरम के ट्रस्टी शांतिलाल नागोरी, प्रकाशकुमार हिराणी ने गुरुमंदिर ध्वजारोहण में पधार कर निश्रा प्रदान करने की विनती की। साध्वी की निश्रा में शुक्रवार को 18 अभिषेक और शनिवार सुबह ध्वजारोहण कार्यक्रम होगा।