बिगड़े मन से काम भी तो बिगड़ेंगे-साध्वी भव्यगुणाश्री
अक्कीपेट में धर्मसभा का आयोजन
बैंगलोर
Published: March 29, 2022 07:42:33 am
बेंगलूरु. अक्कीपेट स्थित जैनम अपार्टमेंट में विराजित साध्वी भव्यगुणाश्री व साध्वी शीतलगुणाश्री ने कहा कि मन की हर स्थिति परिस्थिति में अविचलित रहो। बिगड़े मन से काम भी तो बिगड़ेंगे। कार्यकुशल बनने के लिए मन के चिंतन को विवेक-कुशल बनाना अनिवार्य है। साध्वी भव्यगुणाश्री ने कहा कि कच्चे अनुभवों के बूते पर ही जीवन चरित्र परिष्कृत और परिपक्व बनता है। जीवन के उतार चढ़ाव ही संघर्ष को उर्जा प्रदान करते है। एक बुरा अनुभव आगामी कितने ही बुरे अनुभवों से बचाता है। गलतियां विवेक को सजग रखती है। बुरे अनुभवों से मायूस होकर बैठना प्रयत्न के पहले ही हार मानने के समान है। हमेशा दूरह मार्ग ही, दुर्गम लक्ष्य का संधान करवाता है। साध्वी शीतलगुणाश्री ने कहा कि पत्थर ताकतवर होता है, पर उसे लोहा तोड़ देता है। लोहा ताकतवर होता है, पर उसे अग्नि पिघला देती है। अग्नि ताकतवर होती है,पर उसे पानी बुझा देता है। पानी ताकतवर होता है,लेकिन मनुष्य का संकल्प जग जाए तो वह पानी की धाराओं को भी मोडऩे में सफल हो जाता है। उन्होंने कहा कि एक इच्छा कुछ नहीं बदलती, एक निर्णय कुछ बदलता है, लेकिन एक निश्चय सब कुछ बदल देता है। उन्होंने कहा कि बीत जाती है जिंदगी ढूंढने में कि ढूंढना क्या है जबकि मालुम यह भी नहीं कि जो मिला है उसका करना क्या है। सिर्फ धन पदार्थों का संग्रह करते जाओगे तो उनका लुत्फ कब उठाओगे। जिंदगी लंबी न भी जिओ, पर भरपूर जिओ। स्वयं के जीवन में आप अगर दूसरे की सफलता को स्वीकार नहीं करते तो, वो ईष्र्या बन जाती है और अगर स्वीकार कर लोगे तो, वो प्रेरणा बन जाती है। मनोज परमार ने बताया कि 29 मार्च तक साध्वी जैनम अपार्टमेंट में विराजित रहेंगे।

बिगड़े मन से काम भी तो बिगड़ेंगे-साध्वी भव्यगुणाश्री
पत्रिका डेली न्यूज़लेटर
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