नवपद आराधना से मन शुद्ध होता है
बैंगलोरPublished: Apr 17, 2021 08:29:39 pm
धर्मसभा का आयोजन
नवपद आराधना से मन शुद्ध होता है
मैसूरु. सुमतिनाथ जैन श्वेेतांबर मूर्तिपूजक संघ मैसूरु के तत्वावधान में महावीर भवन विराजित आचार्य नररत्न सूरीश्वर के सान्निध्य में मुनि उदयरत्न सागर विजय ने अपने प्रवचन में कहा कि अरिहंत स्वामी कहते हैं कि यह संसार विशाल सागर के समान है। इसे अपनी भक्ति के माध्यम से पार करना है। नवपद की आराधना से मन के अंदर शुद्धि होती है। खुद के फायदे के लिए दूसरों को नुकसान पहुंचता है, उसे शूद्रता कहते हैं। शूद्रता मिटने के बाद ही श्रावक की आत्मा में धर्म प्रवेश करता है। शूद्र आत्मा मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकती। जिन शासन की सेवा कार्य मे भोग देने वाले व्यक्ति को आगे रखना चाहिए। आयंबिल तप में सभी विघ्नों को हरने की ताकत होती है। जिनालय या उपासरा में प्रवेश करने से पहले अपने अंदर का अहंकार त्याग करके जाए द्य नवकार मंत्र की पक्की माला गिननी चाहिए। नवपद की आराधना जिन शासन का पर्याय है। आज की धर्मसभा में सुमतिनाथ जैन श्वेतांबर मूर्ति पूजक संघ मैसूरु के पूर्व अध्यक्ष अशोक दांतेवाडिय़ा,अध्यक्ष भैरुमल राठोड़, सचिव कांतिलाल गुलेचा, ट्रस्टी प्रकाश सालेचा, पारसमल सिंघवी,पाश्र्व वाटिका एसोसिएशन के सचिव सुरेश कुमार लुंकड़, पाश्र्व पद्मावती ट्रस्ट के अध्यक्ष दलीचंद श्रीश्रीमाल, जैन विहार सेवा समूह के सदस्य संदीप संकलेचा, अभिषेक वाणीगोता श्रद्धालु मौजूद रहे।