आचार्य अरिहंत के उत्तराधिकारी हैं और अरिहंत द्वारा स्थापित चार संघ के नेता हैं। अरिहंत की अनुपस्थिति में वह संघ से संबंधित सभी मामलों में सर्वोच्च और परम निर्णय लेने का अधिकारी है। वह जैन आगम शास्त्रों की व्याख्या का परम अधिकारी भी है। वह पांच अध्यात्मिक संचालनों, ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चरित्राचार, तपाचार और वीर्याचार के लिए साधुओं को पर्यवेक्षित तथा प्रेरित करता है। पहले चार आचार सिद्धचक्र के अंतिम चार पदों से संबंधित हैं। पांचवां वीर्याचार , उत्साह और इन चारों का पालन करने की शक्ति है। आचार्य में छत्तीस गुण हैं और सुनहरा पीला रंग इनका प्रतीक है।
जैन अनुयायी नवपद ओली के तीसरे दिन शुक्ल नवमी को आचार्य पाद की पूजा करते हैं।
जैन अनुयायी नवपद ओली के तीसरे दिन शुक्ल नवमी को आचार्य पाद की पूजा करते हैं।