उन्होंने कहा कि आईटी विभाग ने डायरी के कुछ पन्नों की जांच के लिए उसे हैदराबाद स्थित फोरेंसिक प्रयोगशाला भेजा था लेकिन उसने यह कहकर वापस लौटा दिया कि इसके लिए मूल कॉपी की आवश्यकता है। इस संदर्भ में डायरी की जो कॉपी दिखाई जा रही है वह मनगढ़ंत और जाली है।
यह संबंधित अधिकारियों को जांच में बरगलाने के लिए जानबूझकर दिया गया होगा। बालाकृष्णन ने इस बात से इनकार किया कि बयान जारी करने के लिए उन्हें ‘ऊपर’ से कहा गया है। उन्होंने उन मीडिया हाउस के खिलाफ कार्रवाई की संभावनाओं से भी इनकार किया, जिसने आइटी विभाग का नाम इस विवाद में घसीटा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि आइटी विभाग के कर्नाटक के अधिकारियों ने राज्य के एक कैबिनेट मंत्री की बेनामी संपत्ति जब्त की थी।
हालांकि, उन्होंने मंत्री का नाम बताने से इनकार कर दिया। हाल में हुई आइटी रेड का हवाल देते हुए उन्होंने कहा कि कई फिल्मी हस्तियों के घरों पर हुए छापे में करोड़ों की अघोषित संपत्ति उजागर हुई। उन सभी फिल्मी हस्तियों को नोटिस जारी किया गया है।
‘डायरी’ की जांच लोकपाल करें: सिद्धू
बेंगलूरु. पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीएस येड्डियूरप्पा की डायरी से संबंधित जांच लोकपाल से कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस मामले की सच्चाई उजागर करने के लिए समग्र जांच की आवश्यकता है। इस डायरी में हस्ताक्षर येड्डियूरप्पा के हैं या नहीं इस बात का फैसला निष्पक्ष जांच के माध्यम से किया जाना चाहिए। येड्डियूरप्पा के आरोपों से इनकार किए जाने को लेकर सिद्धरामय्या ने कहा कि कोई भी आरोपी अपने ऊपर लगे आरोपों को स्वीकार नहीं करता है। जांच में सबूत जुटाकर आरोप साबित होते हैं।
ऐसे में येड्डियूरप्पा के खारिज करने के मात्र से इस मामले को रफा-दफा नहीं किया जा सकता है। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी अभी तक इस डायरी को लेकर चुप्पी साधी हुई है। उन्होंने दावा किया कहा कि इस डायरी में येड्डियूरप्पा ने भाजपा के किस नेता को कितने रुपए का भुगतान किया इसके अलावा कई खर्चों का विवरण भी दिया है।
केंद्र सरकार ने लोकपाल की नियुक्ति की है। यह मामला लोकपाल की जांच के लिए सबसे उपयुक्त है। अगर इस मामले की जांच लोकपाल को सौंपी जाती है तो इससे स्पष्ट होगा कि भाजपा भ्रष्टाचार के उन्मूलन को लेकर वाकई गंभीर है।