देखो और प्रतीक्षा करो की नीति अपनाएगी भाजपा
बैंगलोरPublished: May 24, 2019 02:03:42 am
बैठक में भाग लेने दिल्ली गए येड्डियूरप्पा
देखो और प्रतीक्षा करो की नीति अपनाएगी भाजपा
बेंगलूरु. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीएस येड्डियूरप्पा ने स्पष्ट किया कि राज्य में नेतृत्व की दावेदारी करने का कोई भी कदम उठाने से पहले भाजपा ने देखो व प्रतीक्षा करो की नीति अपनाने का निर्णय किया है।
लोकसभा चुनाव में पार्टी की जबरदस्त जीत के बाद येड्डियूरप्पा ने गुरुवार को कहा कि हम आम चुनाव में कांग्रेस व जनता दल-एस की अनपेक्षित हार के बाद उनकी ओर से उठाए जाने वाले कदमों को देखकर अपना निर्णय करेंगे।
उन्होंने कहा कि वे शुक्रवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बुलाई गई बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली जा रहे हैं और वरिष्ठ नेताओं की सलाह के अनुसार हम राज्य में राजनीतिक हिसाब से अपनी अगली रणनीति बनाएंगे। जीत के लिए मतदाताओं को धन्यवाद देते हुए येड्डियूरप्पा ने कहा कि गठबंधन के साझेदारों व मंत्रियों के बीच अंदरूनी कलह के चलते राज्य की जनता ने उनको सबक सिखाया है। वे हमेशा कहते रहे हैं कि गठबंधन के साझेदारों में मतभेद बढ़ते जा रहे हैं और यह सरकार सो रही है।
दिनेश गुंडुराव ने ली हार की जिम्मेदारी
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडूराव न चुनाव में हार की जिम्मेदारी अपने सिर पर ली है। संवाददाताओं से उन्होंने कहा कि मैं इस हार की नैतिक जिम्मेदारी लेता हूं और पार्टी के एक अनुशासित सिपाही होने के नाते मैं आलाकमान के किसी भी निर्देश का पालन करने के लिए तैयार हूं।
उन्होंने कहा कि हम सभी ने एकजुट होकर काम किया। इसके बावजूद परिणाम अत्यंत निराशादायक रहे। मैं निजी तौर पर हार की जम्मेदारी लेता हूं और प्रदेश अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देने या पद पर बने रहने के बारे में पार्टी से मिलने वाले किसी भी निर्देश का पालन करने को तत्पर हूं। जद-एस के साथ गठबंधन सरकार में भागीदार कांग्रेस को इन लोकसभा चुनावों में अत्यंत अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा है क्योंकि कुल 21 सीटों पर चुनाव लडऩे के बावजूद कांग्रेस को केवल एक सीट बेंगलूरु ग्रामीण पर जीत हासिल हुई है।
जद-एस प्रदेशाध्यक्ष ने की इस्तीफे की पेशकश
प्रदेश जनता दल-एस इकाई के अध्यक्ष एच. विश्वनाथ ने इस्तीफे की पेशकश की है। यहां गुरुवार को उन्होंने कहा कि आम चुनाव में पार्टी ने कांग्रेस के समर्थन के साथ 7 प्रत्याशी खड़े किए थे। इनमें से हासन को छोड़कर पार्टी की हार की हुई है। इस हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए वे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देने के लिए तैयार हैं।