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योगी आत्माएं कम, भोगी ज्यादा

locationबैंगलोरPublished: Oct 21, 2019 07:15:09 pm

ज्ञानमुनि ने कहा कि इस संसार में योगी आत्माएं कम हैं और भोगी आत्माएं ज्यादा हैं।

योगी आत्माएं कम, भोगी ज्यादा

योगी आत्माएं कम, भोगी ज्यादा

बेंगलूरु. स्थानक भवन अक्कीपेट में ज्ञानमुनि ने कहा कि इस संसार में योगी आत्माएं कम हैं और भोगी आत्माएं ज्यादा हैं। साधुओं के जीवन में 22 तरह के परिषह में से एक परिषह ऐसा भी आता है जिसमें उसे अपने अपमान को भी समभावों से सहन करना पड़ता है। साधु को अपने महाव्रतों का पालन दृढ़ता के साथ करना चाहिए। इस संसार में कोई भी स्थिति स्थाई नहीं होती है। दु:ख का समय हो या सुख का, दोनों शाश्वत नहीं हैं। हमें दोनों ही समय अपनी आत्मा को धर्म के पथ पर आगे बढ़ाना चाहिए। में लोकेशमुनि ने भी विचार व्यक्त किए।
परोपकार ही श्रेष्ठ धर्म
बेंगलूरु. सिद्धाचल स्थूलभद्र देवनहल्ली में उपधान तप आराधना में आचार्य चंद्रयश सूरिश्वर ने कहा कि परोपकार के समान कोई श्रेष्ठ धर्म नहीं है। दूसरों को पीड़ा देने के समान कोई अधर्म नहीं है। हमारे हृदय में परोपकार के भाव हमेशा रहना चाहिए। वर्तमान दुनिया में स्वार्थ का चलन इतना बढ़ गया है कि दूसरों की चिंता किसी को है ही नहीं। हमारा अच्छा हो दूसरों को जो होना हो। दूसरे लोगों की तो बात छोड़ो। हमारे परिवार की भी चिंता हमें नहीं है।
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