परोपकार ही श्रेष्ठ धर्म
बेंगलूरु. सिद्धाचल स्थूलभद्र देवनहल्ली में उपधान तप आराधना में आचार्य चंद्रयश सूरिश्वर ने कहा कि परोपकार के समान कोई श्रेष्ठ धर्म नहीं है। दूसरों को पीड़ा देने के समान कोई अधर्म नहीं है। हमारे हृदय में परोपकार के भाव हमेशा रहना चाहिए। वर्तमान दुनिया में स्वार्थ का चलन इतना बढ़ गया है कि दूसरों की चिंता किसी को है ही नहीं। हमारा अच्छा हो दूसरों को जो होना हो। दूसरे लोगों की तो बात छोड़ो। हमारे परिवार की भी चिंता हमें नहीं है।
बेंगलूरु. सिद्धाचल स्थूलभद्र देवनहल्ली में उपधान तप आराधना में आचार्य चंद्रयश सूरिश्वर ने कहा कि परोपकार के समान कोई श्रेष्ठ धर्म नहीं है। दूसरों को पीड़ा देने के समान कोई अधर्म नहीं है। हमारे हृदय में परोपकार के भाव हमेशा रहना चाहिए। वर्तमान दुनिया में स्वार्थ का चलन इतना बढ़ गया है कि दूसरों की चिंता किसी को है ही नहीं। हमारा अच्छा हो दूसरों को जो होना हो। दूसरे लोगों की तो बात छोड़ो। हमारे परिवार की भी चिंता हमें नहीं है।