सीएम बनने के बाद हुब्बल्ली शहर की अपनी पहली यात्रा के दौरानस बोम्मई ने सम्मान देने के लिए अपने माता-पिता की समाधि (स्मारक) का दौरा किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि उनका आशीर्वाद लेना उनके लिए सबसे ज्यादा मायने रखता है।
युवा लेखकों को प्रोत्साहन उनकी मां गंगम्मा सोमप्पा बोम्मई का 2002 में निधन हो गया। सीएम के छोटे भाई मल्लिकार्जुन बोम्मई और बोम्मई ट्रस्ट की उपाध्यक्ष गंगम्मा सोमप्पा ने बताया कि वे हजारों गरीब बच्चों को पाठ्यपुस्तकों, नोटबुक और शिक्षण सामग्री के जरिए मदद कर रहे हैं। बोम्मई का परिवार मां के जन्मदिवस पर 26 जनवरी को हुब्बल्ली, सावनूर और शिगगांव में कार्यक्रम आयोजित करता है। गंगम्मा कहती हैं कि हम युवा लेखकों को भी प्रोत्साहित करते हैं और 2006 से वरिष्ठ लेखकों को पुरस्कार देकर और उनकी पुस्तकें प्रकाशित करके उनका सम्मान करते हैं।
‘अव्वा’ पर आधारित 10 पुस्तकें पुस्तकों का संपादन करने वाले चंद्रशेखर वस्त्राड कहते हैं कि उन्होंने ‘अव्वा’(मां) पर आधारित 10 पुस्तकें प्रकाशित करने का निर्णय लिया है। ये किताबें किसी भी शैली की हो सकती हैं – कविता, कहानियां, आत्मकथाएं, उपन्यास या आम लोगों के अनुभव। मां पर पहली किताब के रूप में समकालीन कवियों की कविताओं का संकलन 2006 में प्रकाशित हुआ था। अगले ही साल दूसरी किताब का प्रकाशन हुआ जो विभिन्न कन्नड़ कहानीकारों द्वारा मां के बारे में लिखी कहानियों का संग्रह थी।
दुनियाभर के साहित्यकारों की कहानियों का संकलन इसके अगले प्रकाशन के रूप में दुनियाभर के महान साहित्यकारों, महान व्यक्तित्वों की आत्मकथाओं में मां से संबंधित कथ्य को लिया गया है। गंगम्मा कहती हैं कि हमने रूसी लेखक मैक्सिम गोर्की, इतालवी साहित्यकार ग्रेशियल गार्डा, हिंदी लेखक महाश्वेतादेवी, मराठी लेखक सनेगुरुजी, प्रमोद कर्नाड और कन्नड़ लेखकों आनाकरु, निरंजना की कहानियों को संकलित किया है। लोककथाओं, प्राचीन कन्नड़ कार्यों में मां और नाटकों में मां जैसे विषयों को भी अन्य पुस्तकों में शामिल किया गया।
महिलाओं के लिए ‘अक्का’ पुरस्कार वे कहती हैं कि हालांकि ट्रस्ट सालाना कार्यक्रम आयोजित करता है लेकिन किताबों के प्रकाशन में समय लगता है क्योंकि इसमें शोध की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, ट्रस्ट ने महिला लेखकों के लिए ‘अक्का पुरस्कार’, लोकगीत प्रतिभाओं के लिए जनपद सिरी पुरस्कार और उभरते लेखकों के लिए अरालू मोग्गू पुरस्कार की स्थापना की है।
वयोवृद्ध विद्वान वीरन्ना राजूर ने कहा कि बोम्मई का अपनी मां के प्रति स्नेह और सम्मान दुनिया की सभी माताओं के लिए है। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट के कार्यक्रमों में भाग लेते हुए हमने देखा है कि बोम्मई एक अच्छे पाठक, विचारक और साहित्य प्रेमी हैं।