उसने अपने माता-पिता से इसकी जानकारी ली तो उन्होंने भी हौसला बढ़ाया और प्रक्रिया के बारे में बताया। इस पर उसका भी पीडि़तों की सेवा का जज्बा जगा और अपने बात दान करने की इच्छा जताई और यह प्रक्रिया पूर्ण की। कृष्णा बांसवाड़ा में अब तक सबसे कम आयु की हैं, जिन्होंने बाल कैंसर पीडि़तों के लिए दान किए हैं।
14 इंच लम्बे बाल
कृष्णा के बाल 14 इंच लम्बे थे, जिन्हें संस्थान को सौंपा गया है। स्पर्श संस्थान के मुताबिक विग बनाने के लिए कम से कम १२ इंच लम्बे बाल की आवश्यकता होती है।
कृष्णा के बाल 14 इंच लम्बे थे, जिन्हें संस्थान को सौंपा गया है। स्पर्श संस्थान के मुताबिक विग बनाने के लिए कम से कम १२ इंच लम्बे बाल की आवश्यकता होती है।
यूं पहुंचती है राहत:
स्पर्श संस्था की श्वाति ने बताया कि कैंसर पीडि़तों को थैरेपी के कारण सिर के बाल बहुत अधिक झड़ जाते हैं। ऐसे में वह स्वयं को समाज से अलग-थलग सा महसूस करते हैं और सामाजिक समायोजन में उन्हें दिक्कतें हाती हैं। उनके इस दर्द कोजन सेवा का कार्य कर रहे स्पर्श संस्था ने समझा।
स्पर्श संस्था की श्वाति ने बताया कि कैंसर पीडि़तों को थैरेपी के कारण सिर के बाल बहुत अधिक झड़ जाते हैं। ऐसे में वह स्वयं को समाज से अलग-थलग सा महसूस करते हैं और सामाजिक समायोजन में उन्हें दिक्कतें हाती हैं। उनके इस दर्द कोजन सेवा का कार्य कर रहे स्पर्श संस्था ने समझा।
पहले श्वाति ने अपने बाल दिए। अब तक वह 20 लड़कियों व महिलाओं को प्रेरित कर बाल डोनेट करवा चुकी हैं। यहां से बाल मुम्बई की संस्था को जाते हैं और वहां से निशुल्क विग बनाकर पीडि़तों को निशुल्क वितरित की जाती है। बाजार में विग की कीमत बहुत अधिक होती है, जो गरीब पीडि़त खरीद नहीं सकते। इस निशुल्क विग से उन्हें बहुत राहत मिलती है।