तीनों गांवों में कहीं पर भी उच्च माध्यमिक विद्यालय नहीं है। कक्षा 6 से 10 तक के बच्चों को कोटड़ा उच्च माध्यमिक विद्यालय जाना पड़ता है। लेकिन रपट पर पानी चलने से गांवों में तकरीबन 125 बच्चे स्कूल नहीं जा पाते और शिक्षा प्रभावित होती है। वहीं, प्राइमरी स्तर के विद्यालय गांव में होने के बाद भी बारिश का पानी विद्यालय संचालन में बाधा बनता है क्योंकि खूंटा, महुड़ीफला में अध्यापन कार्य करने वाले शिक्षक कुशलगढ़ रहते हैं जो रपट पर अधिक पानी चलने के कारण विद्यालय नहीं जा पाते। पानी कम यानी दो फीट पानी होने पर वाहन खड़ा कर दो से तीन किमी पैदल चलकर पढ़ाने जाते हैं।
कोटड़ा सरपंच भीमा मईड़ा ने बताया कि इस समस्या के समाधान के लिए अधिकारियों एवं सरकार को भी अवगत करा चुके हैं। तकरीबन दो माह पूर्व राज्यमंत्री अर्जुन ङ्क्षसह बामनिया को भी समस्या से अवगत कराया था। आलम यह है कि रपट पर पानी आने पर 15-15 दिन संपर्क टूट जाता है। इससे तीनों गांवो की तकरीबन 2500 आबादी प्रभावित होती है।
कोटड़ा उच्च माध्यमिक विद्यालय प्रधानाचार्य सीताराम कसोटिया ने बताया कि गांव के तकरीबन १२५ बच्चे हैं। रपट पर पानी आने के कारण विद्यालय की ओर से ही उन्हें स्कूल न आने की बात कह दी जाती है ताकि कोई समस्या न हो। इस कारण उन गांवों से स्कूल आने वाले बच्चों की संख्या भी काफी कम है।