यह है मामला
जिले के आनंदपुरी क्षेत्र के संग्रामपुर गांव के निवासी छह साल के पुष्पेन्द्र को 3 अप्रेल को परिजन बागीदौरा सीएचसी लेकर पहुंचे, जहां खून की जांच में सामने आया कि बच्चे के शरीर में महज 1.5 ग्राम ही हीमोग्लोबीन है। इस पर चिकित्सकों ने उसे महात्मा गांधी अस्पताल रैफर कर दिया। उसी दिन शाम को पांच बजे अस्पताल के शिशु वार्ड में उसे भर्ती किया गया। खून जांच दुबारा जांच कराई गई, जिसमें सामने आया कि बच्चा एनीमिया से पीडि़त है और उसे ब्लड की सख्त आवश्यकता है।
जिले के आनंदपुरी क्षेत्र के संग्रामपुर गांव के निवासी छह साल के पुष्पेन्द्र को 3 अप्रेल को परिजन बागीदौरा सीएचसी लेकर पहुंचे, जहां खून की जांच में सामने आया कि बच्चे के शरीर में महज 1.5 ग्राम ही हीमोग्लोबीन है। इस पर चिकित्सकों ने उसे महात्मा गांधी अस्पताल रैफर कर दिया। उसी दिन शाम को पांच बजे अस्पताल के शिशु वार्ड में उसे भर्ती किया गया। खून जांच दुबारा जांच कराई गई, जिसमें सामने आया कि बच्चा एनीमिया से पीडि़त है और उसे ब्लड की सख्त आवश्यकता है।
तब शाम को ही उसे एक यूनिट ब्लड चढ़ाया गया, ब्लड चढ़ाने के बाद हीमोग्लोबीन की मात्रा में कोई बदलाव नहीं आया। कोई बदलाव न आने पर अचरज हुआ लेकिन तब चिकित्सकों ने बच्चे के एक यूनिट ब्लड और चढ़ाने की बात कही। इसके बाद 5 अप्रेल को पुष्पेंद्र को एक यूनिट ब्लड और चढ़ाया गया। इसके बाद आई जांच रिपोर्ट से एक बार फिर सभी को चौंका दिया। इस बार हीमोग्लोबीन तकरीबन 9 ग्राम था। इस तरह बढ़े हीमोग्लोबीनसे सभी सकते में है और चिकित्सकों का यह मानना है कि दो यूनिट में इतना हीमोग्लोबीन नहीं बढ़ता है।
36 साल में देखा पहला ऐसा मामला
36 वर्ष से रक्तदान के सेवा कार्य से जुड़े राहुल सराफ ने बताया कि पुष्पेंद्र की रिपोर्ट देखकर वे स्वयं हैरत में हैं। इतने वर्षों में पहली बार ऐसा देखा कि महज दो यूनिट ब्ल्ड चढ़ाने पर हिमोग्लोबीन 1.5 ग्राम से सीधा 8.8 ग्राम पहुंच जाए। दो यूनिट ब्लड और एक आयरन चढ़ाने के बाद बच्चे का हीमोग्लेाबीन अधिक से अधिक 5 ग्राम पहुंचना चाहिए था।
36 वर्ष से रक्तदान के सेवा कार्य से जुड़े राहुल सराफ ने बताया कि पुष्पेंद्र की रिपोर्ट देखकर वे स्वयं हैरत में हैं। इतने वर्षों में पहली बार ऐसा देखा कि महज दो यूनिट ब्ल्ड चढ़ाने पर हिमोग्लोबीन 1.5 ग्राम से सीधा 8.8 ग्राम पहुंच जाए। दो यूनिट ब्लड और एक आयरन चढ़ाने के बाद बच्चे का हीमोग्लेाबीन अधिक से अधिक 5 ग्राम पहुंचना चाहिए था।
खून की जांच रिपोर्ट पर संशय
हीमोग्लोबीन के स्तर में आश्चर्यजनक बदलाव को लेकर जांच रिपोर्ट को लेकर संशय खड़ा हो गया है। लेकिन लैब प्रभारी रिपोर्ट का दावा है कि रिपोर्ट बिल्कुल सही है। जो सैंपल लैब में आया है उसे कई बार चेक किया गया और हर बार 8.8 ग्राम ही हीमोग्लोबीन आया। यदि वार्ड से ही सैंपल में कोई चूक हो तो कुछ कहा नहीं जा सकता है।
हीमोग्लोबीन के स्तर में आश्चर्यजनक बदलाव को लेकर जांच रिपोर्ट को लेकर संशय खड़ा हो गया है। लेकिन लैब प्रभारी रिपोर्ट का दावा है कि रिपोर्ट बिल्कुल सही है। जो सैंपल लैब में आया है उसे कई बार चेक किया गया और हर बार 8.8 ग्राम ही हीमोग्लोबीन आया। यदि वार्ड से ही सैंपल में कोई चूक हो तो कुछ कहा नहीं जा सकता है।
हैरत वाली बात है
यदि लैब में कोई गड़बड़ी नहीं है तो यह वाकई में हैरत की बात है। क्योंकि एक यूनिट ब्लड से अधिकतम डेढ़ से दो ग्राम हीमोग्लोबीन बढ़ता है। और दो यूनिट चढ़ाने पर तीन से चार ग्राम बढऩा चाहिए। लेकिन डेढ़ ग्राम से सीधा 8.8 ग्राम होना वाकई में जांच का विषय है।
डॉ. प्रवीण गुप्ता, ब्लड बैंक प्रभारी
यदि लैब में कोई गड़बड़ी नहीं है तो यह वाकई में हैरत की बात है। क्योंकि एक यूनिट ब्लड से अधिकतम डेढ़ से दो ग्राम हीमोग्लोबीन बढ़ता है। और दो यूनिट चढ़ाने पर तीन से चार ग्राम बढऩा चाहिए। लेकिन डेढ़ ग्राम से सीधा 8.8 ग्राम होना वाकई में जांच का विषय है।
डॉ. प्रवीण गुप्ता, ब्लड बैंक प्रभारी