यह थी वारदात
प्रकरण के अनुसार 17 जुलाई 2011 की दोपहर करीब ढाई बजे सूर्यानंद नगर निवासी विश्वेश्वर पुत्र गौरी शंकर उपाध्याय ने एक रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसमें उसने बताया कि वह 30 मई 2011 की रात करीब दस बजे बांसवाड़ा श्हर से वापस अपने घर पैदल पैदल आ रहा था। रास्ते में जैसे ही वह अपने घर के पास पहुंचा तभी चार जने आचानक आए और उन्होंने हमला बोल दिया। आरोपियों ने लात घूसों से मारपीट करते हुए विश्वेश्वर पर पथराव किया, जिसमें में वह बुरी तरह घायल हो गया। इसके बाद आरोपियों ने विश्वैश्वर के गले की चेन करीब डेढ़ तोला वजनी खींच ली। इसके बाद आरोपी मौके से फरार हो गए। इस रिपोर्ट के बाद पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया और कोर्ट में चालान पेश किया। इसके बाद न्यायालय ने पत्रावलियों को अवलोकन कर आरोपियों को दोषी मानते हुए आईपीसी की धारा 394 के अपराध में तीनों आरोपियों को पांच साल के कठोर कारावास एवं दस हजार रुपए का जुर्माने की सजा सुनाई।
प्रकरण के अनुसार 17 जुलाई 2011 की दोपहर करीब ढाई बजे सूर्यानंद नगर निवासी विश्वेश्वर पुत्र गौरी शंकर उपाध्याय ने एक रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसमें उसने बताया कि वह 30 मई 2011 की रात करीब दस बजे बांसवाड़ा श्हर से वापस अपने घर पैदल पैदल आ रहा था। रास्ते में जैसे ही वह अपने घर के पास पहुंचा तभी चार जने आचानक आए और उन्होंने हमला बोल दिया। आरोपियों ने लात घूसों से मारपीट करते हुए विश्वेश्वर पर पथराव किया, जिसमें में वह बुरी तरह घायल हो गया। इसके बाद आरोपियों ने विश्वैश्वर के गले की चेन करीब डेढ़ तोला वजनी खींच ली। इसके बाद आरोपी मौके से फरार हो गए। इस रिपोर्ट के बाद पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया और कोर्ट में चालान पेश किया। इसके बाद न्यायालय ने पत्रावलियों को अवलोकन कर आरोपियों को दोषी मानते हुए आईपीसी की धारा 394 के अपराध में तीनों आरोपियों को पांच साल के कठोर कारावास एवं दस हजार रुपए का जुर्माने की सजा सुनाई।
अदालत ने यह की टिप्पणी
न्यायालय ने अपने निर्णय में यह भी कहा है कि महिलाओं से चेन स्नैेचिंग की वारदातें दिनोंदिन बढ़ रही हैं। इससे आमजन में भय व्याप्त है। इसलिए वारदात की गंभीरता को देखते हुए आरोपियों को परिवीक्षा अधिनियम के प्रावधानों का लाभ दिया जाना उचित नहीं है। आरोपियों को दंडित किया जाना उचित है।
न्यायालय ने अपने निर्णय में यह भी कहा है कि महिलाओं से चेन स्नैेचिंग की वारदातें दिनोंदिन बढ़ रही हैं। इससे आमजन में भय व्याप्त है। इसलिए वारदात की गंभीरता को देखते हुए आरोपियों को परिवीक्षा अधिनियम के प्रावधानों का लाभ दिया जाना उचित नहीं है। आरोपियों को दंडित किया जाना उचित है।