सालों से नहीं ली सुध
जैसे-जैसे विधानसभा चुनावों का समय पास आने को है, वैसे-वैसे क्षतिग्रस्त सडक़ों की सुध लेना शुरू कर दिया है। सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से इन सडक़ों की गिनती की गई तो जिले में दर्जनों सडक़ मार्ग नॉन पेचेबल की स्थिति में आ गए यानी यहां पेंच निकालना संभव नहीं है वरन पूरी सडक़ ही नई बनानी होगी। विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में यह करीब 700 किमी सडक़ इसमें शामिल की गई हैं। विभाग की ओर से इसके लिए 10 हजार 408 लाख के प्रस्ताव स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से अधिकांश वह सडक़ें जिनकी सालों से किसी ने सुध नहीं ली।
जैसे-जैसे विधानसभा चुनावों का समय पास आने को है, वैसे-वैसे क्षतिग्रस्त सडक़ों की सुध लेना शुरू कर दिया है। सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से इन सडक़ों की गिनती की गई तो जिले में दर्जनों सडक़ मार्ग नॉन पेचेबल की स्थिति में आ गए यानी यहां पेंच निकालना संभव नहीं है वरन पूरी सडक़ ही नई बनानी होगी। विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में यह करीब 700 किमी सडक़ इसमें शामिल की गई हैं। विभाग की ओर से इसके लिए 10 हजार 408 लाख के प्रस्ताव स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से अधिकांश वह सडक़ें जिनकी सालों से किसी ने सुध नहीं ली।
जगह-जगह कचरे के ढेर, दुर्गंध
परतापुर. स्वच्छ भारत अभियान को लेकर प्रशासन एवं आमजन को इसमें सहभागिता निभाने के लिए बार-बार संदेश दिए जा रहे है। इसके विपरीत परतापुर कस्बे में इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। कस्बे में पुराना बस बस स्टैण्ड के पास गांधी आश्रम मैदान, डिवाइडर, कृषि मैदान के बाहर व भीतर, पुरानी सब्जी मण्ड़ी के बाहर, सतोरी नदी छोटा आरा, सतोरी पुल बेड़वा के पास गंदगी एवं कचरे के ढेर लगे हैं। इसके साथ ही पॉलीथिन के भी ढेर लगे है।
परतापुर. स्वच्छ भारत अभियान को लेकर प्रशासन एवं आमजन को इसमें सहभागिता निभाने के लिए बार-बार संदेश दिए जा रहे है। इसके विपरीत परतापुर कस्बे में इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। कस्बे में पुराना बस बस स्टैण्ड के पास गांधी आश्रम मैदान, डिवाइडर, कृषि मैदान के बाहर व भीतर, पुरानी सब्जी मण्ड़ी के बाहर, सतोरी नदी छोटा आरा, सतोरी पुल बेड़वा के पास गंदगी एवं कचरे के ढेर लगे हैं। इसके साथ ही पॉलीथिन के भी ढेर लगे है।
दुर्गंध से आमजन परेशान है। वहीं प्रदूषण भी बढ़ रहा है। यहां मवेशियों का जमघट लगा रहता है। पॉलीथिन खाकर मवेशी अकाल मौत का ग्रास बन रहे है। प्रशासन का पॉलीथिन के खिलाफ चलाया गया अभियान भी विफल हो चुका है। कस्बे में कचरा निस्तारण के लिए डम्पिंग यार्ड की व्यवस्था नहीं होने से समस्या बढ़ गई है। समस्या को लेकर कई बार बैठकों में चर्चा भी की गई। लेकिन ठोस निर्णय नहीं हो पाया।