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बांसवाड़ा : मौसम की मार मासूमों पर, उल्टी दस्त से 8 माह की बच्ची की मौत

locationबांसवाड़ाPublished: Mar 21, 2018 11:36:33 pm

Submitted by:

Ashish vajpayee

3-4 दिनों से पीडि़त थी समस्या से, परिजन बच्ची को महात्मा गांधी अस्पताल लेकर पहुंचे, चिकित्सक ने घोषित किया मृत

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School boy killed by swing

बांसवाड़ा. मौसम का बदलाव सभी उम्र के लोगों के लिए खतरनाक बना हुआ है। यह बदलाव जहां लोगों को वायरल की चपेट में ले रहा है। वहीं, बच्चों को डायरिया और सर्दी-बुखार के रूप में तंग कर रहा है। ऐसा ही एक मामला मंगलवार सुबह समाने आया महात्मा गांधी अस्पताल में जहां अलसुबह शहर की एक कॉलोनी से कुछ लोग 8 माह की बच्ची को लेकर पहुंचे। इमरजेंसी चिकित्सक ने बच्चे की नब्ज देख उसे मृत घोषित कर दिया। मामले में बच्ची की बीमारी को लेकर परिजनों ने बताया कि उसे 3 से 4 दिनों ने उल्टी और दस्त की समस्या आ रही थी। और सोमवार रात बच्ची को दवा देकर सोए और सुबह तकरीबन तीन-साढे तीन बजे देखा तो बच्ची में कोई हलचल नहीं थी। घबराकर बच्ची को अस्पताल लेकर पहुंचे।
एक दस्त भी खतरे की घंटी
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. रंजना चरपोटा ने बताया कि पिछले कुछ दिनों ने डायरिया (अतिसार) उल्टी-दस्त और बुखार से पीडि़त कई बच्चे उपचार के लिए आ रहे हैं। यह मौसम बच्चों को परेशान करने वाला है। इसलिए सचेत रहना ही बेहतर विकल्प है। उन्होंने बताया कि यदि बच्चे के एक भी दस्त पानी जैसा आए तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लें और यदि साथ में उल्टी भी हो तो बिल्कुल भी लापरवाही न बरतें। इस मामले में लापरवाही बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती है। उल्टी और दस्त के माध्यम से शरीर से लगातार पानी निकलते रहने से डिहाइड्रेशन भी हो सकता है।
डायरिया के लक्षण
विकृत दस्तों का बार-बार आना। पेट के निचले हिस्से में दर्द और बेचैनी

यह बरतें सावधानी
बच्चे को ओआरएस का घोल दें। किसी भी तरह शरीर में पानी की कमी न होनें दें। ओआरएस का घोल न होने पर एक लीटर पानी में एक चुटकी नमक और माचिस की डिब्बी जितनी शक्कर का घोल मिलाकर पीडि़त को दें। चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।
मृत आई थी बच्ची
सुबह कुछ लोग 8-9 माह की बच्ची को लाए थे। जांच में पता चला की उसकी मौत हो चुकी है। पूछने पर परिजनों ने बताया कि बच्ची को 3-4 दिनों ने दस्त आ रही थी। और रात में उसको दवा देकर सुलाया था। सुबह तकरीबन साढ़े तीन बजे देखा तो बच्ची में कोई हलचल नहीं थी। इस कारण उसे अस्पताल लेकर पहुंचे थे।
डॉ. विनेश राणा, इमरजेंसी ड्यूटी चिकित्सक, मगांचि, बांसवाड़ा

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