एक दस्त भी खतरे की घंटी
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. रंजना चरपोटा ने बताया कि पिछले कुछ दिनों ने डायरिया (अतिसार) उल्टी-दस्त और बुखार से पीडि़त कई बच्चे उपचार के लिए आ रहे हैं। यह मौसम बच्चों को परेशान करने वाला है। इसलिए सचेत रहना ही बेहतर विकल्प है। उन्होंने बताया कि यदि बच्चे के एक भी दस्त पानी जैसा आए तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लें और यदि साथ में उल्टी भी हो तो बिल्कुल भी लापरवाही न बरतें। इस मामले में लापरवाही बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती है। उल्टी और दस्त के माध्यम से शरीर से लगातार पानी निकलते रहने से डिहाइड्रेशन भी हो सकता है।
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. रंजना चरपोटा ने बताया कि पिछले कुछ दिनों ने डायरिया (अतिसार) उल्टी-दस्त और बुखार से पीडि़त कई बच्चे उपचार के लिए आ रहे हैं। यह मौसम बच्चों को परेशान करने वाला है। इसलिए सचेत रहना ही बेहतर विकल्प है। उन्होंने बताया कि यदि बच्चे के एक भी दस्त पानी जैसा आए तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लें और यदि साथ में उल्टी भी हो तो बिल्कुल भी लापरवाही न बरतें। इस मामले में लापरवाही बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती है। उल्टी और दस्त के माध्यम से शरीर से लगातार पानी निकलते रहने से डिहाइड्रेशन भी हो सकता है।
डायरिया के लक्षण
विकृत दस्तों का बार-बार आना। पेट के निचले हिस्से में दर्द और बेचैनी यह बरतें सावधानी
बच्चे को ओआरएस का घोल दें। किसी भी तरह शरीर में पानी की कमी न होनें दें। ओआरएस का घोल न होने पर एक लीटर पानी में एक चुटकी नमक और माचिस की डिब्बी जितनी शक्कर का घोल मिलाकर पीडि़त को दें। चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।
विकृत दस्तों का बार-बार आना। पेट के निचले हिस्से में दर्द और बेचैनी यह बरतें सावधानी
बच्चे को ओआरएस का घोल दें। किसी भी तरह शरीर में पानी की कमी न होनें दें। ओआरएस का घोल न होने पर एक लीटर पानी में एक चुटकी नमक और माचिस की डिब्बी जितनी शक्कर का घोल मिलाकर पीडि़त को दें। चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।
मृत आई थी बच्ची
सुबह कुछ लोग 8-9 माह की बच्ची को लाए थे। जांच में पता चला की उसकी मौत हो चुकी है। पूछने पर परिजनों ने बताया कि बच्ची को 3-4 दिनों ने दस्त आ रही थी। और रात में उसको दवा देकर सुलाया था। सुबह तकरीबन साढ़े तीन बजे देखा तो बच्ची में कोई हलचल नहीं थी। इस कारण उसे अस्पताल लेकर पहुंचे थे।
डॉ. विनेश राणा, इमरजेंसी ड्यूटी चिकित्सक, मगांचि, बांसवाड़ा
सुबह कुछ लोग 8-9 माह की बच्ची को लाए थे। जांच में पता चला की उसकी मौत हो चुकी है। पूछने पर परिजनों ने बताया कि बच्ची को 3-4 दिनों ने दस्त आ रही थी। और रात में उसको दवा देकर सुलाया था। सुबह तकरीबन साढ़े तीन बजे देखा तो बच्ची में कोई हलचल नहीं थी। इस कारण उसे अस्पताल लेकर पहुंचे थे।
डॉ. विनेश राणा, इमरजेंसी ड्यूटी चिकित्सक, मगांचि, बांसवाड़ा