बाढ़ एवं अतिवृष्टि तथा जलभराव या अन्य आपात स्थिति की सूचना नियंत्रण कक्ष को दी जाती है, लेकिन माही परियोजना, माही बांध के नियंत्रण कक्ष के दूरभाष पर ठप पड़े हैं। इन्हें ठीक कराने की जहमत अधिकारी नहीं उठा रहे हैं।
माही के पास नावों का अभाव है एवं तैराक की उपलब्धता न के बराबर है। माही बांध, बांध की गैलरी, कागदी पिकअप वियर, पावर हाउस प्रथम गलियाकोट एवं अन्य स्थानों पर पंपसेट्स हैं। कई अधिशासी अभियंताओं के पास पंप सेट्स का भी अभाव है। जिनके पास पंप सेट्स हैं वे जाम पड़े हैं। आवश्यकता पढऩे पर पंप किराए पर लिए जाएंगे तो उसकी भी व्यवस्था पुख्ता नहीं है।
वर्तमान में जल संसाधन खण्ड के अधीन बीस तालाब हैं। इनमें 16 बांसवाड़ा में तथा चार प्रतापगढ़ जिले में स्थित हैं, लेकिन यहां किसी भी तालाब में गेट ऑपरेटर की व्यवस्था नहीं है।
बारिश के दिनों में जीर्ण-शीर्ण एवं जर्जर भवनों के गिरने एवं ढहने का खतरा रहता है, लेकिन जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण इलाकों में ऐसे भवनों को चिह्नित ही नहीं किया है। वहीं जर्जर भवनों के पास निवासरत लोगों को खतरे से आगाह तक करने को कोई कदम नहीं उठाया है।
नगर परिषद की ओर से खाली कट्टे भरवाकर रखने हैं।
कागदी पिकअप वियर के पास हेलोजन तक नहीं लगी।
जलप्लावन की स्थिति में गंदे पानी की सफाई के लिए कीटनाशक दवाइयां व फिनाइल सहित अन्य का छिडक़ाव।
नालों एवं नालियों की मरम्मत अभी तक नहीं।
उपकरणों का अभाव।
रसद की व्यवस्थाएं अभी तक नहीं।