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मानसून सिर पर, राजस्थान के चेरापूंजी में प्रशासन की यह चूक पड़ सकती है लोगों पर भारी, सबकुछ राम भरोसे

locationबांसवाड़ाPublished: Jun 18, 2018 01:09:29 pm

Submitted by:

Ashish vajpayee

आपदा प्रबंधन के उपाय कागजों से नहीं आए बाहर, जरूरी सुविधाओं का ही टोटा

banswara

मानसून सिर पर, राजस्थान के चेरापूंजी में अगर अतिवृष्टि हुई तो आपदा प्रबंधन के लिए प्रशासन भी राम भरोसे

बांसवाड़ा. जिले में आगामी एक सप्ताह में मानसून के आने की उम्मीदें हैं। राजस्थाना के चेरापूंजी बांसवाड़ा में यदि अतिवृष्टि हो गई तो बचाव एवं राहत में प्रशासन के हाथ पैर फूल सकते हैं। वजह यह है कि कंटीजेंसी पलान कागजों में ही है और धरातल पर व्यवस्थाएं चौपट हंै। नियंत्रण कक्षों पर न फोन चालू हैं और न नाव, पंपसेट्स और न जलाशयों पर समुचित रोशनी के प्रबंध हैं।
नियंत्रण कक्ष फेल
बाढ़ एवं अतिवृष्टि तथा जलभराव या अन्य आपात स्थिति की सूचना नियंत्रण कक्ष को दी जाती है, लेकिन माही परियोजना, माही बांध के नियंत्रण कक्ष के दूरभाष पर ठप पड़े हैं। इन्हें ठीक कराने की जहमत अधिकारी नहीं उठा रहे हैं।
नावों का अभाव
माही के पास नावों का अभाव है एवं तैराक की उपलब्धता न के बराबर है। माही बांध, बांध की गैलरी, कागदी पिकअप वियर, पावर हाउस प्रथम गलियाकोट एवं अन्य स्थानों पर पंपसेट्स हैं। कई अधिशासी अभियंताओं के पास पंप सेट्स का भी अभाव है। जिनके पास पंप सेट्स हैं वे जाम पड़े हैं। आवश्यकता पढऩे पर पंप किराए पर लिए जाएंगे तो उसकी भी व्यवस्था पुख्ता नहीं है।
गेट ऑपरेटर नहीं
वर्तमान में जल संसाधन खण्ड के अधीन बीस तालाब हैं। इनमें 16 बांसवाड़ा में तथा चार प्रतापगढ़ जिले में स्थित हैं, लेकिन यहां किसी भी तालाब में गेट ऑपरेटर की व्यवस्था नहीं है।
जीर्ण-शीर्ण भवनों का चिन्हिकरण नहीं
बारिश के दिनों में जीर्ण-शीर्ण एवं जर्जर भवनों के गिरने एवं ढहने का खतरा रहता है, लेकिन जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण इलाकों में ऐसे भवनों को चिह्नित ही नहीं किया है। वहीं जर्जर भवनों के पास निवासरत लोगों को खतरे से आगाह तक करने को कोई कदम नहीं उठाया है।
ये व्यवस्थाएं भी ठप
नगर परिषद की ओर से खाली कट्टे भरवाकर रखने हैं।
कागदी पिकअप वियर के पास हेलोजन तक नहीं लगी।
जलप्लावन की स्थिति में गंदे पानी की सफाई के लिए कीटनाशक दवाइयां व फिनाइल सहित अन्य का छिडक़ाव।
नालों एवं नालियों की मरम्मत अभी तक नहीं।
उपकरणों का अभाव।
रसद की व्यवस्थाएं अभी तक नहीं।
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