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अजब-गजब : गांव के लोगों में मोबाइल फंक्शन की जानकारी थोड़ी कम, इसलिए… ‘यहां दीवारें बोलती है नम्बर’

locationबांसवाड़ाPublished: Aug 07, 2019 05:20:29 pm

Submitted by:

Varun Bhatt

Ajab-Gajab News, Azab-Gazab Post, Duniya Ajab-Gajab : ग्रामीण क्षेत्रों में संपर्क नम्बर याद रखने का अनूठा तरीका, हर जेब में है मोबाइल, पर दीवारें बोलती हैं नंबर

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अजब-गजब : गांव के लोगों में मोबाइल फंक्शन की जानकारी थोड़ी कम, इसलिए… ‘यहां दीवारें बोलती है नम्बर’

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रामसौर (डूंगरपुर). प्रदेश के दक्षिणी अंचल में स्थित जिले के निर्धनतम तबके के लोग भी संचार क्रांति से जुड़ गए हैं। इससे वह खेत-खलिहान और अपनी झुग्गी-झौपड़ी में बैठकर दूरदराज अपने परिचितों को कॉल लगाकर बात कर लेते हैं। लेकिन, यहां के लोगों ने संपर्क नम्बर याद रखने का अनूठा ही तरीका इजाद किया है। कम शिक्षित एवं मोबाइल के फंक्शन से थोडे कम जानकार लोग मोबाइल नम्बर याद रखने के लिए अपने घर की दीवारों पर ही नम्बर चॉक या ईट के टूकड़े से लिख देते हैं। ताकि, वक्त-जरूरत काम पडऩे पर नम्बर ढूंढना नहीं पड़े और तुरंत मिल जाए। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश घरों की दीवारें ‘कॉटेक्ट लिस्ट’ बन गई हैं।
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कही नाम से तो कहीं अंक से पहचान
ग्रामीण क्षेत्रों में दीवारों पर लिखे बिना नाम के मोबाइल नंबरों को भी यह सहज पहचान लेते हैं। लोगों का मानना है कि आगे या पीछे के लास्ट नबंर याद रख लेते हैं। दीवारें फोन बुक (कांटेक्ट लिस्ट) बन गई है। मोबाइल गुम होने या खराब होने पर भी नबंर हमेशा सुरक्षित रहते हैं। पढे लिखे लोग घर से बाहर जाते हैं और घर पर कोई काम आ गया, तो पीछे रहे लोग किसी मोबाइल धारक से घर की दीवार पर लिखे नबंरों से भी फोन लगाकर बात कर लेते हैं।
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अंग्रेजी शब्दों पर भी पकड़
तकनीक से जुडऩे के बाद अब ग्रामीण अंचल के लोग मोबाइल से जुड़े अंग्रेजी शब्द भी धीरे धीरे बोलने व समझने लगे है। कम पढ़े-लिखे मोबाइल उपभोक्ता भी अमूमन मिस कॉल, मेसेज, कॉलर ट्यून, रिंग टोन, मेमोरी कार्ड, बैंलेंस, रिचाज आदि शब्द सहज बोलने लगे हैं। इतना ही नहीं वन, टू से लेकर नाईन तक के शब्द भी सहज बोलते हुए की-पेड पर डायल कर लेते हैं।
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