ग्रामीण क्षेत्रों में दीवारों पर लिखे बिना नाम के मोबाइल नंबरों को भी यह सहज पहचान लेते हैं। लोगों का मानना है कि आगे या पीछे के लास्ट नबंर याद रख लेते हैं। दीवारें फोन बुक (कांटेक्ट लिस्ट) बन गई है। मोबाइल गुम होने या खराब होने पर भी नबंर हमेशा सुरक्षित रहते हैं। पढे लिखे लोग घर से बाहर जाते हैं और घर पर कोई काम आ गया, तो पीछे रहे लोग किसी मोबाइल धारक से घर की दीवार पर लिखे नबंरों से भी फोन लगाकर बात कर लेते हैं।
तकनीक से जुडऩे के बाद अब ग्रामीण अंचल के लोग मोबाइल से जुड़े अंग्रेजी शब्द भी धीरे धीरे बोलने व समझने लगे है। कम पढ़े-लिखे मोबाइल उपभोक्ता भी अमूमन मिस कॉल, मेसेज, कॉलर ट्यून, रिंग टोन, मेमोरी कार्ड, बैंलेंस, रिचाज आदि शब्द सहज बोलने लगे हैं। इतना ही नहीं वन, टू से लेकर नाईन तक के शब्द भी सहज बोलते हुए की-पेड पर डायल कर लेते हैं।